मिट रहा है वह तो केवल रूप है
लेख कर्मों का कभी मिटता नहीं.
निज सुखों को वार, जग से प्यार कर
यश कमा, यह धन कभी लुटता नहीं.
मत समझ अपना-पराया, बाँट दे
सुख लुटाने से कभी घटता नहीं.
स्वार्थ-मद में मत कभी हुंकार भर
गर्जना से आसमां फटता नहीं.
तंत्र तन का एक दिन खो जायेगा
मंत्र कर्मों का कभी कटता नहीं.
(मेरे छत्तीसगढ़ी ब्लॉग मितानी-गोठ में नव-रात्रि के अवसर पर दुर्गा जी के दोहों की श्रृंखला पोस्ट की जा रही है,मेरा विश्वास है कि हमारी आंचलिक भाषा छतीसगढ़ी को हिंदी के बहुत करीब पायेंगे. कृपया अवश्य ही पधारें)
mitanigothअरुण कुमार निगम
आदित्य नगर , दुर्ग
छत्तीसगढ़.
सुन्दर रचना....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर्।
ReplyDeleteपाठक-गण ही पञ्च हैं, शोभित चर्चा मंच |
ReplyDeleteआँख-मूँद के क्यूँ गए, कर भंगुर मन-कंच |
कर भंगुर मन-कंच, टिप्पणी करते जाओ |
प्रस्तोता का करम, नरम नुस्खा अपनाओ |
रविकर न्योता देत, द्वार पर सुनिए ठक-ठक |
चलिए रचनाकार, लेखकालोचक-पाठक ||
शुक्रवार
चर्चा - मंच : 653
http://charchamanch.blogspot.com/
मत समझ अपना-पराया, बाँट दे
ReplyDeleteसुख लुटाने से कभी घटता नहीं.
बहुत ही सुन्दर रचना है ... सहज सरल ढंग से आपने कितनी सुन्दर बात कही है ...
तंत्र तन का एक दिन खो जायेगा
ReplyDeleteमंत्र कर्मों का कभी कटता नहीं. bahut sahi , arth bhare
सुन्दर सन्देश देती हुई रचना ....
ReplyDeleteतंत्र तन का एक दिन खो जायेगा
ReplyDeleteमंत्र कर्मों का कभी कटता नहीं.
....बहुत सारगर्भित रचना...नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें !
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ReplyDeleteअच्छे अशआर पेश किये हैं आपने!
ReplyDeleteअगर मतला भी होता तो मुकम्मल गज़ल हो जाती।
सुख लुटाने से कभी घटता नहीं.
ReplyDeleteइस रचना के आध्यात्मिक संदेश ने काफ़ी प्रेरित किया।
मत समझ अपना-पराया, बाँट दे
ReplyDeleteसुख लुटाने से कभी घटता नहीं.....
so true !
.
बहुत भावमयी गीत ....
ReplyDeleteawesome..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteतंत्र तन का एक दिन खो जायेगा
ReplyDeleteमंत्र कर्मों का कभी कटता नहीं. बहुत अच्छी अर्थपूर्ण प्रस्तुति .
बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत ही सही कहा...
ReplyDeleteकल्याणकारी सुन्दर सन्देश.....मनमोहक रचना...वाह..
सुन्दर रचना वाह
ReplyDeleteआप भी मेरे फेसबुक ब्लाग के मेंबर जरुर बने
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सर्वप्रथम नवरात्रि पर्व पर माँ आदि शक्ति नव-दुर्गा से सबकी खुशहाली की प्रार्थना करते हुए इस पावन पर्व की बहुत बहुत बधाई व हार्दिक शुभकामनायें। रचना की हर पंक्ति अनुकरणीय……पुन: बधाई व आभार……
ReplyDeleteतंत्र तन का एक दिन खो जायेगा
ReplyDeleteमंत्र कर्मों का कभी कटता नहीं.
बहुत सुन्दर रचना,अनुकरणीय
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना , बधाई
ReplyDeleteतंत्र तन का एक दिन खो जायेगा
ReplyDeleteमंत्र कर्मों का कभी कटता नहीं. ...
सच कहा है कर्म ही है जो हमेशा साथ देते हैं ... सार्थक चिंतन ...
मत समझ अपना-पराया, बाँट दे
ReplyDeleteसुख लुटाने से कभी घटता नहीं.....
बहुत बढ़िया....
मिट रहा है वह तो केवल रूप है
ReplyDeleteलेख कर्मों का कभी मिटता नहीं.sarthak abhivaykti...