मौत ने आकर कहा है प्यार से
अब चलो उठो भी बज़्मेयार से.
उम्र का ये आखिरी पन्ना पढ़ो
जो लिखा है आँसुओँ की धार से.
अलविदा कह दो बहारों जरा
फूल अब चुभने लगे हैं खार से.
कुछ करो आराम साँसें रोक कर
पाँव घायल ज़िंदगी की मार से.
टूट जाना लाजमी उन फूलों का
लग रहे हैं जो यहाँ बीमार से.
सुबह के साथी ने फेंका किस तरह
पूछ लीजे शाम को अखबार से.
डूब जा खामोश होकर ऐ अरुण
दूर साहिल है बहुत मँझधार से.
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर , दुर्ग
छत्तीसगढ़.
(रचना वर्ष – 1980)
सुबह के साथी ने फेंका किस तरह
ReplyDeleteपूछ लीजे शाम को अखबार से.
खुबसूरत अंदाज भाई जी ||
बधाई ||
मौत ने आकर कहा है प्यार से
ReplyDeleteअब चलो उठो भी बज़्मेयार से.
बेहतरीन गजल है सर।
सादर
मौत ने आकर कहा है प्यार से
ReplyDeleteअब चलो उठो भी बज़्मेयार से.
उम्र का ये आखिरी पन्ना पढ़ो
जो लिखा है आँसुओँ की धार से.
गज़ब की दिल मे उतरती गज़ल है…………शानदार लाजवाब्।
अलविदा कह दो बहारों जरा
ReplyDeleteफूल अब चुभने लगे हैं खार से.
कुछ करो आराम साँसें रोक कर
पाँव घायल ज़िंदगी की मार से.
बहुत खूबसूरत गज़ल ..
कुछ करो आराम साँसें रोक कर
ReplyDeleteपाँव घायल ज़िंदगी की मार से.
... लाजवाब गज़ल। हरेक शेर मन को छू जाता है।
i dnt knw how to appraise...
ReplyDeletejust to leave a mark dat i read it.. m commenting here.. :)
डूब जा खामोश होकर ऐ अरुण
ReplyDeleteदूर साहिल है बहुत मँझधार से.
--
बढ़िया ग़ज़ल!
मक्ता भी खूब है!
मौत ने आकर कहा है प्यार से
ReplyDeleteअब चलो उठो भी बज़्मेयार से....बढ़िया ग़ज़ल!
उम्दा और लाजबाब गजल ..
ReplyDeleteखूबसूरत
ReplyDeleteउम्र का ये आखिरी पन्ना पढ़ो
ReplyDeleteजो लिखा है आँसुओँ की धार से.
bahut hi shandaar
बढ़िया ग़ज़ल.
ReplyDeleteवाह अरुण भाई... बहुत उम्दा...
ReplyDeleteहर शेर पर वाह निकल जाता है...
सादर बधाई...
कुछ करो आराम साँसें रोक कर
ReplyDeleteपाँव घायल ज़िंदगी की मार से.
लाजबाब गजल .
bahut umda ghazal likhi hai.har sher laajabaab hai.
ReplyDeleteलाजबाब गजल दिल मे उतरती
ReplyDeleteटूट जाना लाजमी उन फूलों का
ReplyDeleteलग रहे हैं जो यहाँ बीमार से.
सुबह के साथी ने फेंका किस तरह
पूछ लीजे शाम को अखबार से.
बेहतरीन ग़ज़ल .....
अलविदा कह दो बहारों जरा
ReplyDeleteफूल अब चुभने लगे हैं खार से.
-बहुत बढ़िया....