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Tuesday, September 18, 2018

*जलहरण घनाक्षरी*

*जलहरण घनाक्षरी*
(विधान - परस्पर तुकांतता लिए चार पद/ 8, 8, 8, 8 या 16, 16 वर्णों पर यति/ अंत में दो लघु अनिवार्य)

धूल धूसरित तन, केश राशि श्याम घन
बाल क्रीड़ा में मगन, अलमस्त हैं किसन।
छनन छनन छन, पग बजती पैजन
लिपट रही किरण, चूम रही है पवन।
काज तज देवगण, देख रहे जन-जन
पुलकित तन-मन, निर्निमेष से नयन।
काग एक उसी क्षण, देख के रोटी माखन
आया छीन भाग गया, उत्तर दिशा गगन।।

रचनाकार - अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर दुर्ग
छत्तीसगढ़

Saturday, September 15, 2018

*हिन्दी फिल्मों के गायक कलाकार*

*हिन्दी फिल्मों के गायक कलाकार*

गायक कलाकार फिल्मों के, रहते हैं पर्दे से दूर
किन्तु नायिका नायक को वे, कर देते काफी मशहूर।।

सहगल पंकज मलिक जोहरा, राजकुमारी और खुर्शीद
तीस और चालीस दशक की जनता इसकी हुई मुरीद।।

रफी मुकेश किशोर सचिन दा, मन्नाडे हेमंत सुबीर
कभी शरारत कभी निवेदन, कभी सुरों में बाँधी पीर।।

गीतादत्त सुरैया मीना, आशा लता सुधा शमशाद
सबकी अपनी अपनी शैली, सबके सुर का अपना स्वाद।।

कवि प्रदीप बातिश राजागुल, इक्का दुक्का राज कपूर
उमा कमल बारोट चुलबुली, सुन चढ़ता था मस्त सुरूर।।

हेमलता यशुदास रवीन्दर, कंचन पंचम दा शैलेन्द्र
मनहर ऊषा कविता अलका, लंबी तानें लिए महेंद्र।।

बरसों से हम सुनते आए, किया इन्होंने दिल पर राज
दिल से गाते थे ये सारे, दिल को छूती थी आवाज।।

अब के गायक गीत सुना कर, हिट हो जाते रातों रात
उतनी ही जल्दी खो जाते, जैसे गर्मी में बरसात

रचनाकार - अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग
छत्तीसगढ़

Friday, September 14, 2018

"हिन्दी भाषा भारत के लिए परम हितकारी है"


"हिन्दी भाषा भारत के लिए परम हितकारी है"
(जनकवि कोदूराम "दलित" जी की ताटंक छन्द आधारित हिन्दी कविता)

सरल सुबोध सरस अति सुंदर, लगती प्यारी-प्यारी है
देवनागरी लिपि जिसकी सारी लिपियों से न्यारी है
ऋषि-प्रणीत संस्कृत भाषा जिस भाषा की महतारी है
वह हिन्दी भाषा भारत के लिए परम हितकारी है।

सहती आई जो सदियों से संकट भारी भारी है
किन्तु रही जीवित अब तक उस भाषा की बलिहारी है
तुलसी सूर रहीम आदि ने की जिसकी रखवाली है
वह हिन्दी भाषा भारत के लिए परम हितकारी है।

कर न सकी जिसकी समता अरबी उर्दू हिंदुस्तानी
बनी सर्व-सम्मति से जो सारी भाषाओं की रानी
मंद पड़ गई जिसके आगे अँगरेजी बेचारी है
वह हिन्दी भाषा भारत मे लिए परम हितकारी है।

"जय हिन्दी-जय देव नागरी" - कहती दुनिया सारी है
आज हिन्द का बच्चा-बच्चा जिसका बना पुजारी है
भरी अनूठे रत्नों से जिसकी साहित्य-पिटारी है
वह हिन्दी भाषा भारत मे लिए परम हितकारी है।

रचनाकार - जनकवि कोदूराम "दलित"