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Thursday, December 27, 2018

कृषि प्रधान यह देश किन्तु.....

"कृषक पर एक गीत"

कृषक रूप में हर प्राणी को, धरती का भगवान मिला।
कृषि-प्रधान यह देश किन्तु क्या,कृषकों को सम्मान मिला ?

(1)
सुख सुविधा का मोह त्याग कर, खेतों में ही जीता है।
विडम्बना लेकिन यह देखो, उसका ही घर रीता है।
कर्म भूमि में उसके हिस्से, मौसम का व्यवधान मिला।
कृषि-प्रधान यह देश किन्तु क्या,कृषकों को सम्मान मिला ?

(2)
चाँवल गेहूँ तिलहन दलहन, साग-सब्जियाँ फल देता।
अन्न खिलाता दूध पिलाता, बदले में वह क्या लेता?
भ्रष्ट व्यवस्था में चलते क्या, कभी उचित अनुदान मिला।
कृषि-प्रधान यह देश किन्तु क्या,कृषकों को सम्मान मिला ?

(3)
उद्योगों ने खेत निगल कर, शक्तिहीन कर डाला है।
भूमि माफिया को सत्ता ने, बड़े जतन से पाला है।
देख दुर्दशा भूमि पुत्र की, रोता हिन्दुस्तान मिला।
कृषि-प्रधान यह देश किन्तु क्या,कृषकों को सम्मान मिला ?

रचनाकार - अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग
छत्तीसगढ़