सम्बोधन !!!!!
क्या यह यूरोप का शहर है दोस्तों ?
हर शाला में “मैडम” और “सर” है दोस्तों
“गुरुजी” का सम्बोधन कब, क्यों खो गया
खो जाये ना संस्कृति – डर है दोस्तों.
“गुरु” में श्रद्धा थी , आदर- सम्मान था
गुरु थे आगे फिर पीछे भगवान था
“सर” का सम्बोधन बेअसर है दोस्तों.....
“मैडम” आई और “बहन जी” खो गई
पावन रिश्ते का सम्बोधन धो गई
पश्चिमी संस्कृति का असर है दोस्तों.......
इस भारत में बच्चा गुरुकुल जाता था
‘गुरु-शिष्य’ का ‘पिता-पुत्र’ सा नाता था
अब यह नाता आता कहीं नजर है दोस्तों......
गुरु के आगे राजा शीश नवाते थे
राज-समस्या को गुरु ही सुलझाते थे
अब राजा के सम्मुख क्या कदर है दोस्तों.......
“सर” को नैतिक शिक्षा पर बल देना होगा
“मैडम”को ममता का आँचल देना होगा
आँख खुले तो समझो नई सहर है दोस्तों.........
गुरु की खोई महिमा को लौटाना होगा
हर शाला को गुरुकुल पुन: बनाना होगा
शिक्षक का गुरुकुल ही तो घर है दोस्तों.............
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर , दुर्ग
छत्तीसगढ़.
बेहतरीन सुन्दर शब्दों के द्धारा, बेहतर संदेश।
ReplyDeleteहमने , आपने , सबने
ReplyDeleteतलाश लिए है नए घरोंदे
संस्कार और संबोधन
अब बस उन पौराणिक , दकियानूसी विचारों का
तर्पण बाकी है
बची है जो कुछ और " अनिल जी"
अब तो बस उनका पलायन बाकी है
- आप को याद रहीं बधाई
"अनिल जी" को "अरुण जी" भी पढ़े ,
ReplyDelete“गुरु” में श्रद्धा थी , आदर- सम्मान था
ReplyDeleteगुरु थे आगे फिर पीछे भगवान था
“सर” का सम्बोधन बेअसर है दोस्तों.....
“मैडम” आई और “बहन जी” खो गई
गुरुजनों को सादर प्रणाम ||
सुन्दर प्रस्तुति पर
हार्दिक बधाई ||
बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteआज इसे भी देखें-
चर्चा मंच
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteशिक्षक दिवस की शुभकामनायें.
बेहतरीन प्रस्तुति ...शिक्षक दिवस की शुभकामनाएँ
ReplyDeleteशिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ सर।
ReplyDeleteसादर
सटीक और शानदार प्रस्तुति , आभार
ReplyDeleteकृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें .
सच कह रहे हैं...लगता तो यूरोप ही है...उम्दा रचना..
ReplyDelete“गुरुजी” का सम्बोधन कब, क्यों खो गया
ReplyDeleteखो जाये ना संस्कृति – डर है दोस्तों....
हर मन में अब यही डर है अरुण जी ।
सहमत हूँ आपकी बात सेक... गुरु शब्द में निष्ठां का भाव था ... जो अब आज के शब्दों में नज़र नहीं आता ...
ReplyDeleteआद अरूण भाई
ReplyDeleteबहुत सुकून देती है आपकी रचना...
इश्वर से विनती है कि आपकी हर पंक्ति का सन्देश अपने गंतव्य तक पहुंचे...
शिक्षक दिवस की विलंबित सादर बधाइयां...