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Monday, November 6, 2023

"सूरत पानीदार रखो जी"

 "सूरत पानीदार रखो जी"

तोहफों की भरमार रखो जी

भाषण लच्छेदार रखो जी


लॉलीपॉप-रेवड़ी जैसे

आकर्षक उपहार रखो जी


जनता चाहे रोये-कलपे

खुश अपना परिवार रखो जी


जोड़-तोड़ में धन फूँको पर

अपनी ही सरकार रखो जी


जय जयकार कराने खातिर

कुछ-बन्दे  तैयार रखो जी


पौने पाँच साल अकड़ो और

तीन माह व्यवहार रखो जी


तिनके काम नहीं आएंगे

हाथों में पतवार रखो जी


कौन कसौटी पर कसता है

वादों का अंबार रखो जी


अरुण रहे कैसी भी सीरत

सूरत पानीदार रखो जी


रचना - अरुण कुमार निगम