हिंद माँ के माथ बिंदी , भाव में गंगा कालिंदी
जन गण मन के हृदय बसी हिंदी है.
संस्कृत-सुता , सरस्वती को विशेष प्रिय
ब्रज-अवधि की ये सहोदरा आनंदी है.
उर्दू फारसी सखि के संग पली बढ़ी हिंदी
भारतीय भाषाओं की सगी सम्बंधी है.
समृद्ध साहित्य वाली ,इतिहास गौरवशाली
दैदीप्य आभा वाले मुख पर बुलंदी है.
लाख हुये आक्रमण , मिट न सका व्याकरण
विषम - विसंगति के बावजूद जिंदी है.
कोई आये प्रतिद्वंदी, आँखें न करो उनींदी
स्वाभिमान को जगाओ वंदनीय हिंदी है.
मान - सम्मान करो , गरब – गुमान करो
नित गुण-गान करो , पूजनीय हिंदी है.
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर , दुर्ग
छतीसगढ़.
हिंदी दिवस पर
ReplyDeleteबहुत ही रोचक और विश्लेष्णात्मक पोस्ट
हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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जय हिंद जय हिंदी राष्ट्र भाषा
हिंद की शान है हिन्दी, मेरा अभिमान है हिन्दी
ReplyDeleteदेश हो, विदेश हो, हमारा स्वाभिमान है हिन्दी !
सुन्दर प्रस्तुति...आभार
ReplyDeleteहिंदी पर बहुत सुन्दर छंद ... हिंदी दिवस की शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया।
ReplyDeleteहिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
सादर
हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
ReplyDeleteबहुत बढ़िया!
ReplyDeleteहमारी रचना से आपको भी तुकान्त शब्द मिल ही गये!
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निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटत न हिय को शूल।।
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हिन्दी दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
हिंदी दिवस के अवसर पर बहुत सुन्दर प्रस्तुति ......हिंदी दिवस की शुभकामनाएँ
ReplyDeleteहिन्दी देश की आन, बान, व शान है और रहेगी।
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति|
ReplyDeleteहिन्दी दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ|
सुन्दर छंद...
ReplyDeleteहिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
देर से सही: हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ...
ReplyDeleteहिंदी को कौन मिटा सकता है भला .......आपने बहुत सुन्दर लिखा
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