Followers

Wednesday, September 14, 2011

हिंदी दिवस पर –छंद

हिंद माँ के माथ बिंदी , भाव में गंगा कालिंदी
जन गण मन के  हृदय बसी हिंदी है.

संस्कृत-सुता , सरस्वती को विशेष प्रिय
ब्रज-अवधि की ये सहोदरा आनंदी है.

उर्दू फारसी सखि के संग पली बढ़ी हिंदी
भारतीय भाषाओं की सगी सम्बंधी है.

समृद्ध साहित्य वाली ,इतिहास गौरवशाली
दैदीप्य आभा वाले मुख पर बुलंदी है.  

लाख हुये आक्रमण , मिट न सका व्याकरण
विषम - विसंगति के बावजूद जिंदी है.

कोई आये प्रतिद्वंदी, आँखें न करो उनींदी
स्वाभिमान को जगाओ वंदनीय हिंदी है.

मान - सम्मान करो , गरब – गुमान करो
नित गुण-गान करो , पूजनीय हिंदी है.


अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर , दुर्ग
छतीसगढ़.

13 comments:

  1. हिंदी दिवस पर
    बहुत ही रोचक और विश्लेष्णात्मक पोस्ट
    हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
    *************************
    जय हिंद जय हिंदी राष्ट्र भाषा

    ReplyDelete
  2. हिंद की शान है हिन्दी, मेरा अभिमान है हिन्दी
    देश हो, विदेश हो, हमारा स्वाभिमान है हिन्दी !

    ReplyDelete
  3. हिंदी पर बहुत सुन्दर छंद ... हिंदी दिवस की शुभकामनायें

    ReplyDelete
  4. बहुत ही बढ़िया।

    हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।

    सादर

    ReplyDelete
  5. हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ

    ReplyDelete
  6. बहुत बढ़िया!
    हमारी रचना से आपको भी तुकान्त शब्द मिल ही गये!
    --
    निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
    बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटत न हिय को शूल।।
    --
    हिन्दी दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

    ReplyDelete
  7. हिंदी दिवस के अवसर पर बहुत सुन्दर प्रस्तुति ......हिंदी दिवस की शुभकामनाएँ

    ReplyDelete
  8. हिन्दी देश की आन, बान, व शान है और रहेगी।

    ReplyDelete
  9. सुन्दर प्रस्तुति|
    हिन्दी दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ|

    ReplyDelete
  10. सुन्दर छंद...

    हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।

    ReplyDelete
  11. देर से सही: हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ...

    ReplyDelete
  12. हिंदी को कौन मिटा सकता है भला .......आपने बहुत सुन्दर लिखा

    ReplyDelete