गम गलत करने को आखिर
कुछ बहाना चाहिये.
दर्द जब ज्यादा लगे
आँसू बहाना चाहिये.
दोस्त बचपन के मिले
तो रंग जमाना चाहिये.
हाँ ! मगर इस वास्ते
गुजरा जमाना चाहिये.
फायदा ज्यादा नहीं,
आना-दो आना चाहिये.
पर मजा धंधे में अपने
खूब आना चाहिये.
हर जवानी को जरूरी,
एक फसाना चाहिये.
और इसके वास्ते
पंछी फँसाना चाहिये.
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर,दुर्ग (छतीसगढ़)
विजय नगर,जबलपुर (मध्य प्रदेश)
वाह बहुत सुन्दर प्रयोग यमक अलंकार का ... अद्भुत
ReplyDeleteआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 03-10 - 2011 को यहाँ भी है
ReplyDelete...नयी पुरानी हलचल में ...किस मन से श्रृंगार करूँ मैं
बढि़या अंदाज है।
ReplyDeleteक्या बात है...बहुत खूब!!!
ReplyDelete'हर जवानी को जरूरी
ReplyDeleteएक फ़साना चाहिए |
और इसके वास्ते
पंछी फँसाना चाहिए |'
................वाह , क्या कहना ?
क्या बात है अरुण भाई... अलंकारों का प्रयोग बेहतरीन बन पडा हो...
ReplyDeleteसादर बधाई...
लाजवाब....
ReplyDeleteसुन्दर ग़ज़ल....
ReplyDeleteati sundr...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ||
ReplyDeleteबहुत-बहुत बधाई ||
bahut umda prastuti.
ReplyDeleteएक अलग अंदाज .....यमक अलंकार का अदभुद प्रयोग ....
ReplyDeleteदर्द जब ज्यादा लगे
ReplyDeleteआँसू बहाना चाहिये.
सुन्दर!