मुझको तू अपना कर देख
प्रेम-पनीरी खा कर देख
हर दुआ होगी कबूल
बस ! दोनों हाथ उठा कर देख.
मन में क्या है खटक रहा
यहाँ-वहाँ क्यों भटक रहा
‘ना’ में सिर क्यों झटक रहा
‘हाँ’ में शीश हिला कर देख............
बात-बात पर तुनक रहा
खुद अपने से चमक रहा
धन के संग-संग खनक रहा
थोड़ा-बहुत लुटा कर देख.................
लोभ नयन-द्वय झलक रहा
भौतिक सुख को ललक रहा
तन-पिंजरा कब तलक रहा
खुद से नैन मिला कर देख..............
अंत-काल क्यों सिसक रहा
मुझसे मिलने झिझक रहा
तन का दीपक भभक रहा
मन का दीप जला कर देख..................
( गणेश-चतुर्थी की शुभ-कामनायें )
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर ,दुर्ग (छत्तीसगढ़)
गणेश चतुर्थी की शुभकामनायें ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
सुन्दर सन्देश देती हुई प्यारी रचना ......गणेश चतुर्थ की शुभकामनाएँ
ReplyDeleteगणेश चतुर्थी की शुभकामनाये…………बहुत सुन्दर रचना।
ReplyDeleteमन में क्या है खटक रहा
ReplyDeleteयहाँ-वहाँ क्यों भटक रहा
‘ना’ में सिर क्यों झटक रहा
‘हाँ’ में शीश हिला कर देख.........bilkul
इतने प्यारे शब्द है कि कुछ और कहने को बचा ही नहीं है।
ReplyDeleteअंत-काल क्यों सिसक रहा
ReplyDeleteमुझसे मिलने झिझक रहा
तन का दीपक भभक रहा
मन का दीप जला कर देख..................
...बहुत खूब...लाज़वाब भावनाएं और उनकी बेहद ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति..
गणेश चतुर्थी की बहुत बहुत शुभकामनायें।
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है सर।
सादर
बहुत सुन्दर गीत अरुण भाई...
ReplyDeleteसादर बधाई...
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteमन में क्या है खटक रहा
ReplyDeleteयहाँ-वहाँ क्यों भटक रहा
‘ना’ में सिर क्यों झटक रहा
‘हाँ’ में शीश हिला कर देख.....
sunder kaha hai aapne ganeshchaturthi ki shubhkamnayen
rachana
अंत-काल क्यों सिसक रहा
ReplyDeleteमुझसे मिलने झिझक रहा
तन का दीपक भभक रहा
मन का दीप जला कर देख..................
आपको भी गणेश-चतुर्थी की शुभ-कामनायें ....
behtreen prsatuti...
ReplyDeleteमन में क्या है खटक रहा
ReplyDeleteयहाँ-वहाँ क्यों भटक रहा
‘ना’ में सिर क्यों झटक रहा
‘हाँ’ में शीश हिला कर देख............
बहु खूब .....!!
बहुत सुंदर ....गणेश उत्सव की शुभकामनायें
ReplyDeleteबात-बात पर तुनक रहा
ReplyDeleteखुद अपने से चमक रहा
धन के संग-संग खनक रहा
थोड़ा-बहुत लुटा कर देख....
बहुत सुन्दर दर्शन छुपा है इस रचना में।
.
बहुत ही सुन्दर शब्द रचना ।
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गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभ कामनाएं ..दार्शनिक चिंतन से परिपूर्ण सुन्दर रचना के लिए बधाईयां !!!
ReplyDeleteati sunder .
ReplyDeleteaapkee Mahendrajee ke blog par chand tippanee bahut acchee lagee .
ReplyDeleteAabhar
लोभ नयन-द्वय झलक रहा
ReplyDeleteभौतिक सुख को ललक रहा
तन-पिंजरा कब तलक रहा
खुद से नैन मिला कर देख
वाह, क्या बात है...
सरल शब्दों में गहन आध्यात्मिक विचार।
प्रभावशाली प्रस्तुति।
अपने अंदर झाँकने पर ही प्रकाश मिलता है ... लाजवाब रचना है ...
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