गीत - "क्या जाने कितने दिन बाकी"
क्या जाने कितने दिन बाकी
छक कर आज पिला दे साकी।।
आगे पीछे चले गए सब, मधुशाला में आने वाले
धीरे-धीरे मौन हो गए, झूम-झूम के गाने वाले।
अपनी बारी की चाहत में, बैठा हूँ मैं भी एकाकी।।
क्या जाने कितने दिन बाकी
छक कर आज पिला दे साकी।।
जाने वाले हर साथी को, घर तक है मैंने पहुँचाया
जर्जर काया पग डगमग थे, फिर भी मैंने फर्ज निभाया।
आने वाले को जाना है, रीत यही तो है दुनिया की।।
क्या जाने कितने दिन बाकी
छक कर आज पिला दे साकी।।
गीतकार - अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग. छत्तीसगढ़