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Sunday, September 2, 2012

गज़ल – “गलतियाँ गर करें ,भूल जाया करो”


खुद हँसो  ,  दूसरों को   हँसाया करो
ज़िंदगी  हँसते   -   गाते बिताया करो |

हैं   फरिश्ते  नहीं  ,  ये  तो  इंसान  हैं
गलतियाँ  गर करें  , भूल  जाया करो |

कुछ हैं कमजोरियाँ,कुछ हैं नादानियाँ
हर  किसी  को  गले  से लगाया करो |

संग  के  शहर  में , काँच का आशियाँ
है  मेरा   मशवरा  ,  मत बनाया करो |

गलतियाँ   देखना   तो   बुरी  बात है
उँगलियाँ  यूँ  न  सब पर उठाया करो |

(ओबीओ लाइव तरही मुशायरा ,अंक - 26  में सम्मिलित मेरी गज़ल.......)


अरुण कुमार निगम
आदित्यनगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
शम्भूश्री अपार्ट्मेंट, विजय नगर
जबलपुर (म.प्र.)

17 comments:

  1. वाह...
    बहुत सुन्दर गज़ल...

    सादर
    अनु

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  2. बेहतरीन गज़ल. आभार.

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  3. गलतियाँ देखना तो बुरी बात है
    उँगलियाँ यूँ न सब पर उठाया करो |
    बहुत सुंदर क्या बात हैं ........

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  4. संग के शहर में , काँच का आशियाँ
    है मेरा मशवरा , मत बनाया करो |

    बहुत सुंदर.

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  5. वाह,,,,बहुत खूब,,,,निगम जी,,,

    अर्ज है,,
    गलतियाँ यूँ तो सभी से हो जाती मगर
    इसे तुम दिल से यूँ न लगाया करो,,,,,,

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  6. कुछ हैं कमजोरियाँ,कुछ हैं नादानियाँ
    हर किसी को गले से लगाया करो |

    खूब...बहुत सुन्दर गज़ल..

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  7. हैं फरिश्ते नहीं , ये तो इंसान हैं
    गलतियाँ गर करें , भूल जाया करो |

    क्या खूब लेखनी है आपकी ।

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  8. ज़िंदगी का मूल मंत्र हँसना हँसाना .... देता हुआ गजल का पहला शेर ... इंसान तो गलतियाँ करता है उसे भूलने की सलाह देते हुये लग रहा है की फरिश्ता बनाने की कवाद कर रहे हैं ... क्यों कि साधारण इंसान तो भूल नहीं पाता .... बहुत सुंदर बात काही है शेर में

    और यह शेर तो गजब का ही है ---

    संग के शहर में , काँच का आशियाँ
    है मेरा मशवरा , मत बनाया करो |

    बहुत खूबसूरत गज़ल

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  9. बहुत ख़ूब!
    आपकी यह सुन्दर प्रविष्टि आज दिनांक 03-09-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-991 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

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  10. गजल में व्यंजना का सारल्य देखते ही बनता है -

    संग के शहर में , काँच का आशियाँ
    है मेरा मशवरा , मत बनाया करो |

    गलतियाँ देखना तो बुरी बात है
    उँगलियाँ यूँ न सब पर उठाया करो |



    सोमवार, 3 सितम्बर 2012
    Protecting Your Vision from Diabetes Damage मधुमेह पुरानी पड़ जाने पर बीनाई को बचाए रखिये
    Protecting Your Vision from Diabetes Damage

    मधुमेह पुरानी पड़ जाने पर बीनाई को बचाए रखिये

    ?आखिर क्या ख़तरा हो सकता है मधुमेह से बीनाई को

    * एक स्वस्थ व्यक्ति में अग्नाशय ग्रंथि (Pancreas) इतना इंसुलिन स्राव कर देती है जो खून में तैरती फ़ालतू शक्कर को रक्त प्रवाह से निकाल बाहर कर देती है और शरीर से भी बाहर चली जाती है यह फ़ालतू शक्कर (एक्स्ट्रा ब्लड सुगर ).

    मधुमेह की अवस्था में अग्नाशय अपना काम ठीक से नहीं निभा पाता है लिहाजा फ़ालतू ,ज़रुरत से कहीं ज्यादा शक्कर खून में प्रवाहित होती रहती है .फलतया सामान्य खून के बरक्स खून गाढा हो जाता है .

    अब जैसे -जैसे यह गाढा खून छोटी महीनतर रक्त वाहिकाओं तक पहुंचता है ,उन्हें क्षतिग्रस्त करता आगे बढ़ता है .नतीज़न इनसे रिसाव शुरु हो जाता है .

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  11. गजल में व्यंजना का सारल्य देखते ही बनता है -

    संग के शहर में , काँच का आशियाँ
    है मेरा मशवरा , मत बनाया करो |

    गलतियाँ देखना तो बुरी बात है
    उँगलियाँ यूँ न सब पर उठाया करो |अब इससे सीधा साफ़ रूप विधान पैरहन क्या होगा गजल का ?

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  12. हैं फरिश्ते नहीं , ये तो इंसान हैं
    गलतियाँ गर करें , भूल जाया करो |
    खूब...बहुत सुन्दर.

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  13. सफर-दर-सफ़र है शजर का शहर है..,
    नज़ीरे-नजर हाय से ज़रा नजर चुराया करो.....

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  14. बहुत सुंदर !

    अपनी गलतियां वैसे भी हम भूल जाते हैं
    बस उसकी गल्तियाँ ही तो याद दिलाते हैं !

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  15. गलतियाँ यूँ तो सभी से हो जाती मगर
    इसे तुम दिल से यूँ न लगाया करो
    .............बहुत खूबसूरत गज़ल निगम जी

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  16. वाह...बहुत सुन्दर गज़ल...

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