खुद हँसो , दूसरों को
हँसाया करो
ज़िंदगी हँसते - गाते बिताया करो |
हैं फरिश्ते
नहीं , ये तो
इंसान हैं
गलतियाँ गर करें , भूल जाया
करो |
कुछ हैं कमजोरियाँ,कुछ हैं नादानियाँ
हर किसी को गले से लगाया करो
|
संग के शहर में , काँच का आशियाँ
है मेरा मशवरा , मत बनाया करो |
गलतियाँ देखना तो बुरी
बात है
उँगलियाँ यूँ न सब पर उठाया
करो |
(ओबीओ लाइव तरही मुशायरा ,अंक - 26 में सम्मिलित
मेरी गज़ल.......)
आदित्यनगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
शम्भूश्री अपार्ट्मेंट, विजय नगर
जबलपुर (म.प्र.)
वाह...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गज़ल...
सादर
अनु
बेहतरीन गज़ल. आभार.
ReplyDeleteगलतियाँ देखना तो बुरी बात है
ReplyDeleteउँगलियाँ यूँ न सब पर उठाया करो |
बहुत सुंदर क्या बात हैं ........
sundar gajal prastuti...abhaar
ReplyDeleteसंग के शहर में , काँच का आशियाँ
ReplyDeleteहै मेरा मशवरा , मत बनाया करो |
बहुत सुंदर.
ReplyDeleteवाह,,,,बहुत खूब,,,,निगम जी,,,
अर्ज है,,
गलतियाँ यूँ तो सभी से हो जाती मगर
इसे तुम दिल से यूँ न लगाया करो,,,,,,
कुछ हैं कमजोरियाँ,कुछ हैं नादानियाँ
ReplyDeleteहर किसी को गले से लगाया करो |
खूब...बहुत सुन्दर गज़ल..
हैं फरिश्ते नहीं , ये तो इंसान हैं
ReplyDeleteगलतियाँ गर करें , भूल जाया करो |
क्या खूब लेखनी है आपकी ।
ज़िंदगी का मूल मंत्र हँसना हँसाना .... देता हुआ गजल का पहला शेर ... इंसान तो गलतियाँ करता है उसे भूलने की सलाह देते हुये लग रहा है की फरिश्ता बनाने की कवाद कर रहे हैं ... क्यों कि साधारण इंसान तो भूल नहीं पाता .... बहुत सुंदर बात काही है शेर में
ReplyDeleteऔर यह शेर तो गजब का ही है ---
संग के शहर में , काँच का आशियाँ
है मेरा मशवरा , मत बनाया करो |
बहुत खूबसूरत गज़ल
बहुत ख़ूब!
ReplyDeleteआपकी यह सुन्दर प्रविष्टि आज दिनांक 03-09-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-991 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
ReplyDeleteगजल में व्यंजना का सारल्य देखते ही बनता है -
संग के शहर में , काँच का आशियाँ
है मेरा मशवरा , मत बनाया करो |
गलतियाँ देखना तो बुरी बात है
उँगलियाँ यूँ न सब पर उठाया करो |
सोमवार, 3 सितम्बर 2012
Protecting Your Vision from Diabetes Damage मधुमेह पुरानी पड़ जाने पर बीनाई को बचाए रखिये
Protecting Your Vision from Diabetes Damage
मधुमेह पुरानी पड़ जाने पर बीनाई को बचाए रखिये
?आखिर क्या ख़तरा हो सकता है मधुमेह से बीनाई को
* एक स्वस्थ व्यक्ति में अग्नाशय ग्रंथि (Pancreas) इतना इंसुलिन स्राव कर देती है जो खून में तैरती फ़ालतू शक्कर को रक्त प्रवाह से निकाल बाहर कर देती है और शरीर से भी बाहर चली जाती है यह फ़ालतू शक्कर (एक्स्ट्रा ब्लड सुगर ).
मधुमेह की अवस्था में अग्नाशय अपना काम ठीक से नहीं निभा पाता है लिहाजा फ़ालतू ,ज़रुरत से कहीं ज्यादा शक्कर खून में प्रवाहित होती रहती है .फलतया सामान्य खून के बरक्स खून गाढा हो जाता है .
अब जैसे -जैसे यह गाढा खून छोटी महीनतर रक्त वाहिकाओं तक पहुंचता है ,उन्हें क्षतिग्रस्त करता आगे बढ़ता है .नतीज़न इनसे रिसाव शुरु हो जाता है .
ReplyDeleteगजल में व्यंजना का सारल्य देखते ही बनता है -
संग के शहर में , काँच का आशियाँ
है मेरा मशवरा , मत बनाया करो |
गलतियाँ देखना तो बुरी बात है
उँगलियाँ यूँ न सब पर उठाया करो |अब इससे सीधा साफ़ रूप विधान पैरहन क्या होगा गजल का ?
हैं फरिश्ते नहीं , ये तो इंसान हैं
ReplyDeleteगलतियाँ गर करें , भूल जाया करो |
खूब...बहुत सुन्दर.
सफर-दर-सफ़र है शजर का शहर है..,
ReplyDeleteनज़ीरे-नजर हाय से ज़रा नजर चुराया करो.....
बहुत सुंदर !
ReplyDeleteअपनी गलतियां वैसे भी हम भूल जाते हैं
बस उसकी गल्तियाँ ही तो याद दिलाते हैं !
गलतियाँ यूँ तो सभी से हो जाती मगर
ReplyDeleteइसे तुम दिल से यूँ न लगाया करो
.............बहुत खूबसूरत गज़ल निगम जी
वाह...बहुत सुन्दर गज़ल...
ReplyDelete