उँगलियों पर न सबको नचाया करो
टेढ़ी उँगली
न घी में डुबाया करो |
जान ले न कहीं ये
अदा मदभरी
उँगली दाँतो तले मत दबाया करो |
सीखते हैं सभी , थाम कर उँगलियाँ
नन्हें बच्चों को चलना
सिखाया करो |
काम ऐसे
करो, उँगलियाँ मत उठे
उँगलियों से सदा गुदगुदाया
करो |
अंगुलीमार जाने
है किस भेष
में
उँगलियाँ यूँ न सब पर उठाया
करो |
(ओबीओ लाइव तरही मुशायरा ,अंक - 26 में
सम्मिलित मेरी दूसरी गज़ल.......)
आदित्यनगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
शम्भूश्री अपार्ट्मेंट, विजय नगर
जबलपुर (म.प्र.)
मस्त है अरुण जी ||
ReplyDeleteअभी पहुंचा ||
नोट: आप वह नंबर मेल कर दीजिये |
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ReplyDeleteबेहतरीन,गजल अरुण जी,,,,
Deleteअर्ज है,,,
आँख के इशारे ही बुलाने के लिए है काफी
उगलियाँ दिखाकर हमें पास मत बुलाया करो,,,,
उँगलियों पर न सबको नचाया करो
ReplyDeleteटेढ़ी उँगली न घी में डुबाया करो |... :)
वाह सर जी..
ReplyDeleteक्या खूब गजल है...
बहुत बढ़िया...
और एकदम सही भी...
:-)
सीखते हैं सभी , थाम कर उँगलियाँ
ReplyDeleteनन्हें बच्चों को चलना सिखाया करो ...
बहुत खूब अरुण जी ... कमाल के शेर है ये इस गज़ल का ... लाजवाब ..
वाह अरुण सर क्या बात है बेहतरीन ग़ज़ल , बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteअंगुलीमार जाने है किस भेष में
ReplyDeleteउँगलियाँ यूँ न सब पर उठाया करो |
...बहुत खूब!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ..
सीखते हैं सभी उँगलियाँ थामकर
ReplyDeleteनन्हें बच्चों को चलना सिखाया करो ...वाह क्या कहने सर, अनुपम भाव संयोजन बधाई...
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 4/9/12 को चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच http://charchamanch.blogspot.inपर की जायेगी|
ReplyDeleteबहुत बढ़िया,बहुत सुन्दर प्रस्तुति ..
ReplyDeleteउँगलियों पर न सबको नचाया करो
ReplyDeleteटेढ़ी उँगली न घी में डुबाया करो |
sunder pangtiyan....
अंगुलियाँ कुछ उठेंगी तुम्हरी तरफ भी
ReplyDeleteहर ओर अनुग्लियाँ ना उठाया करो :)
अँगुलियों के बिम्ब पर बेहतरीन ग़ज़ल !
काम ऐसे करो, उँगलियाँ मत उठे
ReplyDeleteउँगलियों से सदा गुदगुदाया करो |
आज कल तो सबको दूसरों पर उँगलियाँ उठाने की आदत है
उँगलियों को जो भींचो ..तो मुट्ठी बने
ReplyDeleteउनकी ताक़त को यूँ तुम न ज़ाया करो