स्वर में अमृत घोलो जी
फिर अधरों को खोलो जी |
फिर अधरों को खोलो जी |
नहीं खर्च कुछ होने का
मीठा – मीठा बोलो जी |.
देने वाला कैसे दे ?
हाथ मलिन हैं धो लो जी |
मन से पश्चाताप करो
प्रायश्चित कर रो लो जी |
नाव सम्हल ना पाएगी
इतना भी मत डोलो जी |
मान सहित घर पहुँचा दे
साथ उसी के हो लो जी |
जीवन में क्या दिया-लिया
मन को जरा टटोलो जी |
अधिक जागरण ठीक नहीं
चादर तानो सो लो जी |
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर , दुर्ग (छत्तीसगढ़)
विजय नगर, जबलपुर (म.प्र.)
बहुत बढ़िया निगम साहब-
ReplyDeleteदिल्ली की हवा रास आ रही है-
पर---
स्वर में अमृत घोला है |
मीठा मीठा बोला है |
अब मतलब की बात करेगा-
टाँगे लम्बा झोला है ||
नाव सम्हल ना पाएगी
ReplyDeleteइतना भी मत डोलो जी |
सुझाव बहुत अच्छे हैं लेकिन कोई मानें तो .....
जिंदगी तो सभी को मिलती
ReplyDeleteजीवन में कुछ कर लो जी,,,,,बहुत खूब अरुण जी,,,,
मन से पश्चाताप करो
ReplyDeleteप्रायश्चित कर रो लो जी | ... मन को यूँ साफ़ कर लो जी
सटीक और सुंदर सीख देती हुई प्रस्तुति ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर.
ReplyDeleteहल्की फुल्की....मगर वज़नदार बात कहती रचना..
सादर
अनु
वाह बेहतरीन खुबसूरत रचना, बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteजीवन में क्या दिया-लिया
ReplyDeleteमन को जरा टटोलो जी ...
बहुत खूब अरुण जी ... छोटी बहर का कमाल ... सभी शेर लाजवाब .... बधाई ...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (09-09-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
बहुत ही सुंदर भाव संयोजन अरुण जी,एकदम सटीक और सुंदर सीख देती लाजवाब प्रस्तुति। आभार ....
ReplyDeleteआज 09/09/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
अच्छी सीख देती हुई सीधे सरल शब्दों में ......
ReplyDeletechhote chhote saral shabdon se sajee sundar rachana
ReplyDeleteसीधे ,सरल शब्दों में बहुत गहरी बात है इस रचना में..
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन रचना...
:-)
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteजीवन में क्या दिया-लिया
ReplyDeleteमन को जरा टटोलो जी ।
कितनी सुंदर पंक्तियां हैं !...लाजवाब !
पूरी रचना बेमिसाल।
मन को जरा टटोलो जी .......
ReplyDeleteस्वर में अमृत घोलो जी
फिर अधरों को खोलो जी |
नहीं खर्च कुछ होने का
मीठा – मीठा बोलो जी |.
देने वाला कैसे दे ?
हाथ मलिन हैं धो लो जी |
मन से पश्चाताप करो
प्रायश्चित कर रो लो जी |
नाव सम्हल ना पाएगी
इतना भी मत डोलो जी |
मान सहित घर पहुँचा दे
साथ उसी के हो लो जी |
जीवन में क्या दिया-लिया
मन को जरा टटोलो जी |
अधिक जागरण ठीक नहीं
चादर तानो सो लो जी |
दिल को लाख सम्भाला जी ,
फिर भी दिल मतवाला जी ,
कल तक मेरा था ,आज ये तेरा हो गया .
ram ram bhai
मंगलवार, 11 सितम्बर 2012
देश की तो अवधारणा ही खत्म कर दी है इस सरकार ने
ReplyDeleteबहुत खा लिए कोयले अब ,
कुछ तो ठंडा हो लो जी .
वोटों की गिनती छोडो ,
राज धरम कुछ तौलो जी .
और अंत में...
ReplyDeleteस्वर में अमृत घोलो जी
अधिक जागरण ठीक नहीं
चादर तानो सो लो जी |
बहुत प्यारी रचना अरुण जी.
ReplyDeleteमन से पश्चाताप करो
ReplyDeleteप्रायश्चित कर रो लो जी |
नाव सम्हल ना पाएगी
इतना भी मत डोलो जी |
manbhavan hai rachna Arun ji. http://kpk-vichar.blogspot.im