[दोहा – प्रथम और तृतीय (विषम) चरणों में 13
मात्राएँ. द्वितीय और चतुर्थ (सम) चरणों में
11 मात्राएँ . प्रत्येक दल में 24 मात्राएँ. अंत में एक गुरु ,एक लघु.]
हिन्दी भारतवर्ष में ,पाय
मातु सम मान
यही हमारी अस्मिता और यही
पहचान |
बनी राजमाता मगर ,कर ना पाई राज
माता की यह बेबसी , बेटे धोखेबाज |
माँ घर में बीमार है , वाह विदेशी प्रेम
बेटा साहब बन गया और बहुरिया
मेम |
गिटपिट बोलें आंग्ल में,करते इस पर गर्व
एक दिवस बस साल में , मना रहे हैं पर्व |
बालभारती गुम हुई,स्लेट कलम
है लुप्त
बाढ़े कैसे बीज अब ,भूमि नहीं
उपयुक्त |
देवनागरी लिपि सरल , पढ़ने में
आसान
लिपि उच्चारण एक है ,हिन्दी बड़ी महान |
आंग्ल-प्रेम बढ़ता रहा,निज-भाषा रहि हेय
हिन्दी ही पहचान
है , रखिये इसे अजेय
|
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर , दुर्ग (छत्तीसगढ़)
विजय नगर , जबलपुर (म.प्र.)
हिंदी की दशा / महत्ता पर सटीक दोहे-
ReplyDeletehidin bhasha ki disha or dashaa ke taratamy men sundar dohe ...abhaar
ReplyDeleteवाह,,अरुण जी,कमाल के निशब्द करते दोहे,,,
ReplyDeleteहिन्दी भाषा देश की,हिन्दू की पहचान
बाट जोहती देश में,हो हिन्दी का मान,,,
गिटपिट बोलें आंग्ल में,करते इस पर गर्व
ReplyDeleteएक दिवस बस साल में , मना रहे हैं पर्व |
बालभारती गुम हुई,स्लेट कलम है लुप्त
बाढ़े कैसे बीज अब ,भूमि नहीं उपयुक्त |
यही विडम्बना है , हम अपनी भाषा के स्वयं शत्रु बने हुये हैं । बहुत सार्थक दोहे ।
दोहे बहुत सुन्दर बने हैं अरुण जी |
ReplyDeleteआशा
सभी दोहे बहुत उत्तम हैं और सन्देशपरक भी!
ReplyDeleteअरुण जी! सभी दोहे बहुत सुन्दर और संदेशपरक है...आभार
ReplyDeleteबनी राजमाता मगर ,कर ना पाई राज,
ReplyDeleteमाता की यह बेबसी , बेटे धोखेबाज।
यथार्थ ही यथार्थ ध्वनित हो रहा है इन दोहों में, हिंदी की महिमा भी और हिंदी की पीड़ा भी।
बढ़िया दोहे......
ReplyDeleteसार्थक संदेश लिए...
सादर
अनु
राज भाषा मास में हिंदी को लेकर बहुत ही सार्थक दोहे हैं
ReplyDeleteसुन्दर व्यंग बाण ...आज के परिपेछ्य बिलकुल सही है
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से केवल एक दिन का उत्सव
दिखावा उसके बाद सुसुप्ता अवस्था
बनी राजमाता मगर ,कर ना पाई राज
माता की यह बेबसी , बेटे धोखेबाज |
माँ घर में बीमार है , वाह विदेशी प्रेम
बेटा साहब बन गया और बहुरिया मेम |
बालभारती गुम हुई,स्लेट कलम है लुप्त
बाढ़े कैसे बीज अब ,भूमि नहीं उपयुक्त |
इन लाइनों ने तो दिल को छू लिया
आदरणीय निगम जी हिंदी के विषय में बहुत बढ़िया दोहे रचे गये है हार्दिक आभार सुन्दर दोहों के लिए
इस माह तो याद कर ही लेते हैं सब
ReplyDeleteहिंदी पखवाड़े में ,हिंदी के चौमासे में दोहों की बारिश .आनंद वर्षण कर दियो .मन हर्षायो .
ReplyDeleteहिंदी पखवाड़े में ,हिंदी के चौमासे में दोहों की बारिश .आनंद वर्षण कर दियो .मन हर्षायो .
ReplyDeleteअरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ)
TUESDAY, SEPTEMBER 25, 2012
दोहे – हिन्दी
[दोहा – प्रथम और तृतीय (विषम) चरणों में 13 मात्राएँ. द्वितीय और चतुर्थ (सम) चरणों में 11 मात्राएँ . प्रत्येक दल में 24 मात्राएँ. अंत में एक गुरु ,एक लघु.]
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 27-09 -2012 को यहाँ भी है
ReplyDelete.... आज की नयी पुरानी हलचल में ....मिला हर बार तू हो कर किसी का .
माँ घर में बीमार है , वाह विदेशी प्रेम
ReplyDeleteबेटा साहब बन गया और बहुरिया मेम |
bahut hi teekha prahar .......sadar aabhar Nigam sahab
हिन्दी को वर्णित करते सुंदर दोहे |
ReplyDeleteमेरी नई पोस्ट:-
♥♥*चाहो मुझे इतना*♥♥
.
ReplyDeleteहिंदी भारतवर्ष में ,पाए मातु सम मान ।
यही हमारी अस्मिता और यही पहचान ॥
बहुत सुंदर सलिल दोहे लिखे हैं आपने हिंदी भाषा को समर्पित …
आभार !
मंगलकामनाएं…
बहुत सही...सुन्दर...सटीक ..शोचनीय ...और सारगर्भित
ReplyDeletebahut badhiya shodon ka samagam...dhnywad kabhi samay mile to mere blog http://pankajkrsah.blogspot.com pe padharen swagat hai
ReplyDeleteहिन्दी ही पहचान है , रखिये इसे अजेय
ReplyDeleteहिंदी की वर्त्तमान अवस्था पर बहुत सार्थक दोहे...
ReplyDeleteमाँ घर में बीमार है , वाह विदेशी प्रेम
ReplyDeleteबेटा साहब बन गया और बहुरिया मेम |
- बहुत सही संदर्भ दिये हैं !