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Friday, September 14, 2012

राजभाषा मास :-

चौदह सितम्बर , हिंदी दिवस पूर्ण उत्साह से मनाया जा रहा है. सितम्बर का महीना भी राजभाषा के रूप में सोल्लास मनाया जा रहा है. समाचार पत्रों में नित्य ही  समाचार आ रहे है . अमुक विभाग में हिंदी पखवाड़े का शुभारम्भ, हिंदी पर कार्यशाला आयोजित,  हर जगह हुआ राजभाषा का सम्मान, हिंदी दिवस पर अमुक संस्था में बैठक, अमुक कार्यालय में हिंदी पखवाड़े का समापन, राष्ट्रभाषा को सशक्त बनाने की शपथ ली, अमुक कार्यालय ने मनाया हिंदी पखवाड़ा, हिंदी दिवस के आयोजन पर विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन.

हिंदीमय वातावरण देख कर मन पुलकित हो उठा है. अन्य उत्सवों की भाँति हिंदी-उत्सव का आयोजन भी होना ही चाहिये. राजभाषा मास में अनेक रचनाकारों को अवसर प्राप्त होते हैं. वरिष्ठ रचनाकारों के मुख्य आतिथ्य में प्रेरणादायी बातें और उनकी रचनाओं का प्रसाद प्राप्त होता है. विशेषकर नवोदित रचनाकारों के लिये तो ये आयोजन अति उपयोगी साबित हो रहे हैं. शिक्षण संस्थाओं में अध्यापक, विद्यार्थी और विभिन्न संस्थाओं में अधिकारी और कर्मचारी अपनी रचनाधर्मिता के माध्यम से अपनी पहचान बना पाते हैं.
हिंदी के प्रति प्रेम सभी के हृदय में है किंतु जीवन पर पाश् चात्य शैली के प्रभाव ने अपने आप को ज्ञानी जताने के लिये  अंग्रेजी को अपनाने के लिये बाध्य कर दिया है. स्वतंत्र होने के बाद भी मानसिक गुलामी ने अभी तक जकड़ कर रखा है. अंग्रेजी नहीं बोल पाने या नहीं लिख पाने पर हीनता का बोध कराया जा रहा है. यह अच्छी बात नहीं है. हिंदी को हेय दृष्टि से देखना किसी महापाप से कम नहीं है. भाषा सम्प्रेषण के लिये है, ज्ञान के मूल्यांकन के लिये नहीं. 
कोई हिंदी जानता ही न हो तो सम्प्रेषण हेतु अन्य भाषा या संकेतों का प्रयोग उचित भी है किंतु जहाँ हिंदी को जानने-समझने वाले हैं वहाँ बोलने और लिखने में हिंदी का ही प्रयोग करना चाहिये. कितने ही बड़े व्यक्ति या अधिकारी से बात करनी हो ,अपनी बात पूर्ण आत्म विश्वास और गर्व के साथ हिंदी में ही करें चाहे वह अपनी बात अंग्रेजी में ही करता रहे. इसी प्रकार से अपना कार्यालयीन पत्र-व्यवहार भी नि:संकोच हिंदी में ही करें. धीरे-धीरे उस अंग्रेजी के ज्ञानी को हिंदी में सम्प्रेषण के लिये बाध्य होना ही पड़ेगा.
देवनागरी लिपि एक मात्र ऐसी लिपि है जिसमें लिपि के अनुसार ही उच्चारण होते हैं. हिंदी का शब्द भंडार समुद्र सा विशाल है. इसका साहित्य इतना समृद्ध है कि सारा विश्व इसी से ज्ञान प्राप्त कर रहा है. हिंदी की भाव सम्प्रेषण क्षमता असीम है. मनुष्य के हृदय में उठने वाले हर तरह के भावों को हिंदी में व्यक्त किया जा सकता है. हम इतनी सशक्त भाषा का ज्ञान रखते हैं  फिर हीनता-बोध क्यों  ?  आईये हीनता-बोध का नाश करें और हिंदी पर गर्व करें.
“जय हिंदी – जय देवनागरी” 

श्रीमती सपना निगम
आदित्य नगर, दुर्ग
छत्तीसगढ़.

19 comments:

  1. जय हिंदी जय हिनुस्तान ||

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  2. जय हिंदी – जय देवनागरी

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  3. बढ़िया................

    हिंदी दिवस की शुभकामनाएं.....
    फले-फूले,खिलखिलाती रहे हमारी हिंदी ...

    सादर
    अनु

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  4. है जिसने हमको जन्म दिया ,हम आज उसे क्या कहते है\
    क्या यही हमारा राष्ट्रवाद , जिसका पथ दर्शन करते है,
    हे राष्ट्र्स्वामिनी निराश्रिता , परिभाषा इसकी मत बदलो,
    हिन्दी है भारत की भाषा , हिन्दी को हिन्दी रहने दो,,,,,,

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  5. हीनता के बोध से ही उभरना है .... सार्थक लेख ...

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  6. हिंदी दिवस की शुभकामनायें !!

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  7. १४ सितम्बर हमको सुखद और दुखद दोनों तरह का अहसास करा जाता है ,सभी को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ !!

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  8. हिंदी की श्रेष्ठता हमेशा रहे

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  9. सत्य लिखा है ...
    जय हिंदी .. जय भारत ...
    सभी को हिंदी दिवस की शुभकामनायें ...

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  10. हिन्दीदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
    आपका इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (15-09-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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  11. अपनी हिंदी ..सिर्फ एक दिन के लिए सीमित क्यों ????
    प्रश्न ज्वलंत है...पर आज कल की पीढ़ी इसे मानेगी तब ना ||

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  12. हिन्दुस्तान हमारा...हिन्दी हमारी !!
    जय हिंदी, जय देवनागरी|

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  13. उम्दा प्रस्तुति | हिन्दी दिवस की शुभकामनायें |
    जय हिन्दी, जय हिन्द,जय हिंदुस्तान |
    मेरी पोस्ट में आपका स्वागत है |
    जमाना हर कदम पे लेने इम्तिहान बैठा है

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  14. हिन्दी हमारी माँ है.. हिन्दी दिवस की शुभकामनायें |

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  15. ईश्वर से प्रार्थना है देश की अस्मिता के लिए "हिंदी" समूचे विश्व में राज करे। बहुत ही सुन्दर विचार। बहुत बहुत बधाई ....

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  16. हिन्दीदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  17. मैंने इन बातों को अपने जीवन में अंगीकार कर लिया है और मेरा सतत प्रयास होता है कि अपने आस पास भी लोगों को इसके लिए प्रेरित करूँ..

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