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Friday, September 28, 2012
Thursday, September 27, 2012
गणपति गणराजा
(चित्र गूगल से साभार)
ग्यारह दिन “गणपति” “गणराजा”
आकर मोरी कुटिया विराजा.
सुबह – साँझ नित आरती पूजा
“गणपति” सम कोई देव न दूजा.
तन, मन,धन से
सेवा भक्ति
जिसने भी की पाई शक्ति.
मस्तक बड़ा – बुद्धि परिचायक
मुख-मुद्रा अति आनंददायक .
बड़े कान हैं सुनते सबकी
दु:ख – पीड़ाएँ हरते सबकी.
“मोदक प्रिय” का उदर विशाला
कहे - सभी की बातें पचा जा.
सूँड़ कहे - नाक रखो ऊँची
मान करेगी सृष्टि
समूची.
“वक्रतुंड”, सिंह-वाहन धारे
ईर्ष्या-जलन,मत्सरासुर
मारे.
परशुराम जी से युद्ध में टूटा
एक दाँत का साथ था छूटा.
“एकदंत”
तब ही से कहाये
नशारूपी मदासुर को मिटाये.
बड़े पेट वाले हे ! “महोदर”
मोहासुर राक्षस का किया क्षर.
गज- सा मुख “गजानन” कहाये
लोभासुर को आप मिटाये.
लम्बा पेट ”लम्बोदर” न्यारे
राक्षस क्रोधासुर संहारे.
“विकट” रूप
मयूर पर बैठे
कामासुर का अंत कर बैठे.
“विघ्न राज” जी विघन विनाशे
शेषनाग वाहन पर विराजे.
“धूम्रवर्ण” मूषक पर प्यारे
अभिमानासुर को संहारे.
ज्ञान – बुद्धि अउ आनंददायक
जय जय जय हो “अष्ट विनायक”.
आज विसर्जन की घड़ी आई.
हुआ हवन अब झाँकी सजाई.
मूरत जाये ,प्रभु
नहीं जाना
तुम भक्तों के हृदय समाना.
बहुत जरूरी अगर है जाना
अगले बरस प्रभु जल्दी आना.
श्रीमती सपना निगम
आदित्य नगर, दुर्ग
छत्तीसगढ़.
Tuesday, September 25, 2012
दोहे – हिन्दी
[दोहा – प्रथम और तृतीय (विषम) चरणों में 13
मात्राएँ. द्वितीय और चतुर्थ (सम) चरणों में
11 मात्राएँ . प्रत्येक दल में 24 मात्राएँ. अंत में एक गुरु ,एक लघु.]
हिन्दी भारतवर्ष में ,पाय
मातु सम मान
यही हमारी अस्मिता और यही
पहचान |
बनी राजमाता मगर ,कर ना पाई राज
माता की यह बेबसी , बेटे धोखेबाज |
माँ घर में बीमार है , वाह विदेशी प्रेम
बेटा साहब बन गया और बहुरिया
मेम |
गिटपिट बोलें आंग्ल में,करते इस पर गर्व
एक दिवस बस साल में , मना रहे हैं पर्व |
बालभारती गुम हुई,स्लेट कलम
है लुप्त
बाढ़े कैसे बीज अब ,भूमि नहीं
उपयुक्त |
देवनागरी लिपि सरल , पढ़ने में
आसान
लिपि उच्चारण एक है ,हिन्दी बड़ी महान |
आंग्ल-प्रेम बढ़ता रहा,निज-भाषा रहि हेय
हिन्दी ही पहचान
है , रखिये इसे अजेय
|
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर , दुर्ग (छत्तीसगढ़)
विजय नगर , जबलपुर (म.प्र.)
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