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Thursday, October 31, 2019

"ग़ज़लनुमा दोहा छन्द"-

"ग़ज़लनुमा दोहा छन्द"-

इर्द गिर्द उनके फिरें, ऐसे वैसे लोग
सम्मानित होने लगे, कैसे कैसे लोग ।।

मूल्यवान पत्थर हुआ, हुए रत्न बेभाव
गुदड़ी में ही रह गए, हीरे जैसे लोग।।

चन्दा लेकर हो रहा, प्रायोजित सम्मान
वहाँ लुटाने जा रहे, अपने पैसे लोग।।

कुछ हंसों के बीच में, बगुले भी रख साथ
खुशियों की सौगात दें, जैसे तैसे लोग।।

दरबारों से दूर हैं, जाने उनको कौन?
सम्मानित होते नहीं, अक्सर ऐसे लोग ।।

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)

2 comments:

  1. बहुत सुंदर शानदार सृजन।

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  2. एक दबका ऐसा है जो दिखावा नहीं करता, जबकि अन्यो के पास के पास दिखावा करने के लिए कुछ नहीं होता फिर भी वो दिखावा कर कर के समाज मे सम्मानित होते रहते हैं।
    बहुत बढ़िया तंज।

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