Followers

Thursday, October 17, 2019

दोहा छन्द - सम्मान

दोहा छन्द - सम्मान

मांगे से जो मिल रहा, वह कैसा सम्मान।
सही अर्थ में सोचिये, यह तो है अपमान।।

राजाश्रय जिसको मिला, उसे मिला सम्मान।
किसे आज के दौर में, हीरे की पहचान।।

आज पैठ अनुरूप ही, होता है गुणगान।
अनुशंसा से मिल रहे, इस युग में सम्मान।।

मूल्यांकन करता समय, कर्म न जाता व्यर्थ।
अमर उसी का नाम है, जिसकी कलम समर्थ।।

कई सदी के बाद ही, आँका जाता काम।
गुणवत्ता मरती नहीं, जीवित रखती नाम ।।

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)

1 comment: