पिछले साल किसे मारा था ?
फिर रावण को मार रहे हो !
पिछले साल किसे मारा था ?
देख सको तो देखो अब भी,
कितने रावण घूम रहे हैं।
धन-सत्ता की मदिरा पीकर,
अपने मद में झूम रहे हैं।।
अब भी रावण जीवित है तो
तुमने किसको संहारा था ?
फिर रावण को मार रहे हो !
पिछले साल किसे मारा था ?
विजयादशमी आई जब-जब
ऊँचे पुतले खूब बनाए।
बुला-बुला कर बड़ी हस्तियाँ
आतिशबाजी खूब जलाए।।
पुतले जल कर खाक हो गए,
क्या रावण सचमुच हारा था ?
फिर रावण को मार रहे हो !
पिछले साल किसे मारा था ?
लक्ष्मण-भरत सरीखे त्यागी
कहाँ दिखाई देते भाई।
रावण ही रावण दिखते हैं
राम नहीं देते दिखलाई ।
बाद मृत्यु के क्या रावण ने
फिर से तुमको ललकारा था?
फिर रावण को मार रहे हो !
पिछले साल किसे मारा था ?
कन्याएँ तक नहीं सुरक्षित
महिलाओं की बात ही छोड़ो।
मार सको तो पत्थर लेकर
इन दुष्टों का माथा फोड़ो।।
लेकिन वह रावण था ज्ञानी
प्रभु ने भी तो स्वीकारा था
फिर रावण को मार रहे हो !
पिछले साल किसे मारा था ?
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (11-10-2019) को "सुहानी न फिर चाँदनी रात होती" (चर्चा अंक- 3485) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'