अब की बार दीवाली में........
(विष्णु पद छन्द)
अब की बार दीवाली में हम, कुछ नूतन कर लें
किसी दीन के घर में जाकर, उसका दुख हर लें ।
अब की बार दीवाली में हम, देशी अपनाएँ
लुप्त हो रही परम्परा को, फिर से सिरजाएँ ।
अब की बार दीवाली में हम, यह संकल्प करें
दूषित वातावरण हो रहा, कायाकल्प करें।
अब की बार दीवाली में हम, श्रम का मान करें
अपने कारीगर-श्रमिकों पर, नित अभिमान करें ।
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
(विष्णु पद छन्द)
अब की बार दीवाली में हम, कुछ नूतन कर लें
किसी दीन के घर में जाकर, उसका दुख हर लें ।
अब की बार दीवाली में हम, देशी अपनाएँ
लुप्त हो रही परम्परा को, फिर से सिरजाएँ ।
अब की बार दीवाली में हम, यह संकल्प करें
दूषित वातावरण हो रहा, कायाकल्प करें।
अब की बार दीवाली में हम, श्रम का मान करें
अपने कारीगर-श्रमिकों पर, नित अभिमान करें ।
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (29-10-2019) को "भइया-दोयज पर्व" (चर्चा अंक- 3503) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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दीपावली के पंच पर्वों की शृंखला में गोवर्धनपूजा की
हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाई।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'