होता अति का अंत है , कह गये सारे संत
एक
सरीखे रह गये , पतझर और बसंत
पतझर और बसंत , सभी मौसम हैं घायल
दूषित जल में मौन , हुई सरिता की पायल
लुप्त हो रहे जीव , बया गौरैय्या
तोता
सँभल जरा ओ मनुज,अंत है अति का होता ||
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
शम्भूश्री अपार्टमेंट, विजय नगर, जबलपुर (म.प्र.)
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
शम्भूश्री अपार्टमेंट, विजय नगर, जबलपुर (म.प्र.)
आदरणीय गुरुदेव श्री प्रयावरण को समर्पित शानदार कुण्डलिया हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें.
ReplyDeleteशानदार प्रेरणा देती कुण्डलियाँ ,आभार
ReplyDeleteगुज़ारिश : ''...सपने...???''
बडी अच्छी क़ुंडलिया है,बधाइ
ReplyDeleteprakriti ki vytha aur pida ko ujagar karti sundar rachna
ReplyDeleteसराहनीय अभिव्यक्ति अकलमंद ऐसे दुनिया में तबाही करते हैं . आप भी जानें हमारे संविधान के अनुसार कैग [विनोद राय] मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन] नहीं हो सकते
ReplyDeleteउत्तम सन्देश देती बहुत ही बेहतरीन कुण्डलियाँ...
ReplyDelete:-)
बहुत बढ़िया....
ReplyDeleteसुन्दर सन्देश लिए कुण्डलियाँ.
सादर
अनु
वाह!
ReplyDeleteआपकी यह प्रविष्टि कल दिनांक 25-02-2013 को चर्चामंच-1166 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
वाह!
ReplyDeleteआपकी यह प्रविष्टि कल दिनांक 25-02-2013 को चर्चामंच-1166 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
बढिया
ReplyDeleteशुभकामनाएं
सटीक अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteबढिया --
आभार स्वीकारें ॥
बहुत अच्छा सन्देश मनुज को
ReplyDeletelatest postमेरी और उनकी बातें
वर्तमान में प्रकृति का यही हाल हो रहा है। चिंताजनक विषय पर शानदार कविता प्रस्तुत की है आपने। धन्यवाद।
ReplyDeleteनया लेख :- पुण्यतिथि : पं . अमृतलाल नागर