(चित्र ओबीओ से साभार)
अनगढ़ मिट्टी पा रही , शनै: - शनै: आकार
दायीं - बायीं तर्जनी , देती उसे निखार
देती उसे निखार , मध्यमा संग कनिष्का
अनामिका अंगुष्ठ , नाम छोड़ूँ मैं किसका
मिलकर रहे सँवार , रहे ना कोई घट - बढ़
शनै: - शनै: आकार , पा रही मिट्टी अनगढ़ ||
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
शम्भूश्री अपार्टमेंट, विजय नगर, जबलपुर (म.प्र.)
भगदड़ दुनिया में दिखे, समय चाक चल तेज |
ReplyDeleteकुम्भकार की हड़बड़ी, कृति अनगढ़ दे भेज |
कृति अनगढ़ दे भेज, बराबर नहीं अंगुलियाँ |
दिल दिमाग में भेद, मसलते नाजुक कलियाँ |
ठीक करा ले चाक, हटा मिटटी की गड़बड़ |
जल नभ पावक वायु, मचा ना पावें भगदड़ ||
लगातार बैठना नहीं हो पा रहा है
ReplyDeleteअंतरजाल की दुनिया की जानने हलचल
निकट है मार्च महीना, राजस्व वसूली
लक्ष्य प्राप्ति हेत बस होता आदेश तू
खाली चल चल चल चल
लेकिन आज पढ़ा आपकी 'कुण्डलियाँ'
का सुन्दर छंद ....
कैसे तारीफ़ करूँ
मिल नहीं रहे मुझे अल्फास, दिमाग की
की बत्ती हो गई बंद .....बहुत ही सुन्दर ...
और आदरणीय 'रविकर' जी के जवाब का
भी कोई सानी नहीं ..... आभार!
जी बहुत खूब जी
ReplyDeleteगढ़ने के बाद पकाना भी पड़ेगा - ताप दे-दे कर !
ReplyDeleteआपने भी चित्र के आधार पर बहुत सुन्दर रचना गढ़ दी है..
ReplyDeleteबहुत ही बढ़ियाँ....
:-)
बहुत सुंदर .... सभी उँगलियों के नाम भी याद करा दिये :):)
ReplyDeleteचित्र को पूरी तरह से साकार करती लाजबाब कुण्डली रचने के लिए ,,,अरुण जी बधाई
ReplyDeleteRecent post: गरीबी रेखा की खोज
blog par bahut see kundaliyan padhi kintu jo bhavpoorn aur sahajta aapki kundli me dekhne ko mili vah kahin nahi .सराहनीय अभिव्यक्ति आभार सही आज़ादी की इनमे थोड़ी अक्ल भर दे . आप भी जानें हमारे संविधान के अनुसार कैग [विनोद राय] मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन] नहीं हो सकते
ReplyDeleteनिगम जी बहुत खूब | आपकी लेखनी से कुण्डलियाँ सीख रहा हूँ | आभार
ReplyDeleteTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
bahut sunder chhand.
ReplyDeletebas anamika ko chhod dijiye :)
उत्कृष्ट प्रस्तुति, निगम जी
ReplyDeleteदै धान लै मूल थोर रेवरी बाँट रमन ।
ReplyDeleteतहँ मति दै मद्य महँ बोर बटोर श्रमिक के धन ॥
बहुत खूब
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