भेजे
में घुसता नहीं , राजनीति का खेल
हमने
सीखा बंधुवर , दिल से दिल का मेल
दिल से दिल का मेल ,जात औ’ पात न जाने
चेहरे का क्या काम
, धड़कनों से पहचाने
प्रेम
- मार्ग चल ‘अरुण’ ,नयन में नेह सहेजे
हृदय देत
विश्वास , घात देते हैं
भेजे ||
अरुण कुमार निगम
आदित्य
नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
विजय नगर, जबलपुर (मध्य प्रदेश)
कन्नी अक्सर काटते, राजनीति से मित्र |
ReplyDeleteगिन्नी जैसी किन्तु यह, चम्-चम् करे विचित्र |
चम्-चम् करे विचित्र , बड़े दीवाने इसके |
चाहे जाय चरित्र, मरे चाहे वे पिसके |
करते रहते खेल, कमीशन काट चवन्नी |
आ के पापड़ बेल, काट ना यूं ही कन्नी ||
आपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा बुधवार (20-02-13) के चर्चा मंच पर भी है | जरूर पधारें |
ReplyDeleteसूचनार्थ |
भेजे पर मत जाइए करता तर्क - कुतर्क
ReplyDeleteदिल की सुनिए बात फिर नहीं पड़ेगा फर्क ।
बहुत सुंदर कुंडली ।
बिलकुल सही लिखा दिल से दिल के मेल में जात-पात नही होता.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया छंद....
ReplyDeleteअर्थपूर्ण!!
सादर
अनु
दिल से दिल का मेल ,जात औ’ पात न जाने
ReplyDeleteचेहरे का क्या काम , धड़कनों से पहचाने ..
वाह अरुण जी ... मज़ा आ गया सुबह सुबह मधुर छंद दिल में उतर गया ...
वाह अरुण जी बहुत बढ़िया कुण्डली |
ReplyDeleteआशा
राजनीति जैसा मजा,नाही दूसरा मित्र,
ReplyDeleteएमपी एमएलऐ बनो,महको जैसे ईत्र
महको जैसे ईत्र,नही कुछ करना धरना
कार्यक्षेत्र में बस,कभी-कभी जाते रहना
जनसेवा की आड़,कार्य है परम पुनीत
झोली भर लो आप,कहाये ये राजनीत,,,,
Recent Post दिन हौले-हौले ढलता है,
बढ़िया कुण्डलिया छंद....
ReplyDeleteअति आनंददायी छंद..
ReplyDeleteआपके छंद बहुत अच्छे हैं .
ReplyDeleteआपका छंद अच्छा लगा। धन्यवाद।
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