Followers

Sunday, February 10, 2013

तीन कुण्डलिया छंद –


(1)
मतलब का मतलब कभी , मत लब से तू बोल
तलब छुपी इसमें बुरी , बल तम  इसके  खोल
बल तम इसके खोल , बलम जी  इसमें है बम
इसके तल में  स्वार्थ  , बसा  करता है  हरदम
रिश्ते - नाते अरुण ,  तोड़  देता है जब- तब
मत लब से तू बोल, कभी मतलब का मतलब ||

(2)
मत की कीमत जानिये, मत किस्मत का मूल
मत  बहुमत के  फेर में , मत को  करें फिजूल
मत को  करें फिजूल, दिखाएँ  हिम्मत लाला
मत  के  पीछे   भाग  ,  रहा  है  हर  मतवाला
सुख निर्मल नवनीत,अरुण सुख मत की मटकी
मत किस्मत का मूल ,जानिये कीमत मत की ||

(3)
शामत  मत  बुलवाइये  , मतवाली है शाम
मतलब -वतलब छोड़िये, भजिये राधेश्याम
भजिये राधेश्याम , राम का नाम सुमरिये
बैतरणी के पार , सुमत चढ़ि नाव उतरिये
जीवन है संग्राम , हारना अरुण न हिम्मत
मतलब करता नाश,इसी से आती शामत ||

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
विजय नगर, जबलपुर (मध्य प्रदेश)

14 comments:

  1. पोस्ट-मार्टम शब्द का, लब मतलब मत तलब |
    बलम मलब तल तक खलब, दृष्टि निगम की अजब ||

    साधुवाद -

    ReplyDelete
  2. Replies
    1. मत,मतलब,साधे बिना,चलता नाही काम !
      ये दोनों सध जाय तो,जपिये राधे श्याम !!,,,,,,


      RECENT POST... नवगीत,

      Delete
  3. behatareen ,japiye dinbhar radhshyam,nahi bacha ab koyee kam, शामत मत बुलवाइये , मतवाली है शाम
    मतलब -वतलब छोड़िये, भजिये राधेश्याम
    भजिये राधेश्याम , राम का नाम सुमरिये
    बैतरणी के पार , सुमत चढ़ि नाव उतरिये
    जीवन है संग्राम , हारना अरुण न हिम्मत
    मतलब करता नाश,इसी से आती शामत ||

    ReplyDelete
  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    --
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (11-02-2013) के चर्चा मंच-११५२ (बदहाल लोकतन्त्रः जिम्मेदार कौन) पर भी होगी!
    सूचनार्थ.. सादर!

    ReplyDelete
  5. बहुत सुन्दर कुण्डलिया

    ReplyDelete
  6. बहुत सुंदर कुण्‍डलि‍यां..

    ReplyDelete
  7. क्या बात है अरुण जी...शब्दों का सुन्दर चमत्कार प्रस्तुर किया है आपने ..बहुत सुन्दर कुण्डलियाँ!

    ReplyDelete
  8. मत और मतलब की शानदार कुंडलियाँ ...

    ReplyDelete
  9. अति सुन्दर कुंडलियाँ ...बहुत ही अच्छी लगी ..

    ReplyDelete
  10. शब्दों के चमत्कारिक प्रयोग से सजी सुंदर कुण्डलिया ,शुभकामनाये

    ReplyDelete
  11. उर्दू शायरी की तरह लुत्फ़ पैदा किया है आपने इन कुंडलियों में शब्दों को आगे पीछे समायोजित करके .आनंद वर्षं हुआ छंदों से ,व्यंग्यार्थ और रूपकात्मक तत्वों से .


    SUNDAY, FEBRUARY 10, 2013

    तीन कुण्डलिया छंद –

    (1)
    मतलब का मतलब कभी , मत लब से तू बोल
    तलब छुपी इसमें बुरी , बल तम इसके खोल
    बल तम इसके खोल , बलम जी इसमें है बम
    इसके तल में स्वार्थ , बसा करता है हरदम
    रिश्ते - नाते ‘अरुण’ , तोड़ देता है जब- तब
    मत लब से तू बोल, कभी मतलब का मतलब ||

    (2)
    मत की कीमत जानिये, मत किस्मत का मूल
    मत बहुमत के फेर में , मत को करें फिजूल
    मत को करें फिजूल, दिखाएँ हिम्मत लाला
    मत के पीछे भाग , रहा है हर मतवाला
    सुख निर्मल नवनीत,अरुण सुख मत की मटकी
    मत किस्मत का मूल ,जानिये कीमत मत की ||

    (3)
    शामत मत बुलवाइये , मतवाली है शाम
    मतलब -वतलब छोड़िये, भजिये राधेश्याम
    भजिये राधेश्याम , राम का नाम सुमरिये
    बैतरणी के पार , सुमत चढ़ि नाव उतरिये
    जीवन है संग्राम , हारना अरुण न हिम्मत
    मतलब करता नाश,इसी से आती शामत ||

    अरुण कुमार निगम
    आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
    विजय नगर, जबलपुर (मध्य प्रदेश)
    Posted by अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) at 12:28 PM

    ReplyDelete
  12. अति सुन्दर कुंडलियाँ ,शुभकामनाये
    गौर कीजिएगा....
    गुज़ारिश : ''........तुम बदल गये हो..........''

    ReplyDelete
  13. बहुत सुंदर कुण्‍डलि‍यां.....

    ReplyDelete