चोंच नुकीली तीक्ष्ण हैं ,पंजों के नाखून
जो भी आये सामने , कर दे खूनाखून
कर दे खूनाखून , बाज है बड़ा शिकारी
गौरैया खरगोश , कभी बुलबुल की बारी
चोंच सभी की मौन,व्यवस्था ढीली-ढीली
चोंच लड़ाये कौन, बाज की चोंच नुकीली ||
जो भी आये सामने , कर दे खूनाखून
कर दे खूनाखून , बाज है बड़ा शिकारी
गौरैया खरगोश , कभी बुलबुल की बारी
चोंच सभी की मौन,व्यवस्था ढीली-ढीली
चोंच लड़ाये कौन, बाज की चोंच नुकीली ||
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
शम्भूश्री अपार्टमेंट, विजय नगर, जबलपुर
(म.प्र.)
तीखा तीखा लिख दिया , जनता है खरगोश
ReplyDeleteबाजों से निपटने का , कब आएगा होश ....
बहुत सुंदर कुंडली
तीखा तीखा लिख दिया,जनता है खरगोश
Deleteनिपटा दें इस बाज को ,कब आएगा होश
कब आएगा होश , रोष हमको है आता
काहे समझ न आय,नेह का नाजुक नाता
कोयल की मधु तान,भूल कर्कशता सीखा
मिसरी माखन त्याग,बाँटता तीखा तीखा ||
आदरेया आभार......
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ReplyDeleteकीली ढीली हो गई, गोली गोल गुलेल |
Deleteबाज बाज आता नहीं, करे इसी से खेल |
करे इसी से खेल, चूर मद हो जाएगा |
है सिद्धांत अपेल, बड़ा कोई आयेगा |
बढ़ जाता जब जुल्म, मौत तब निश्चय लीली |
फिर आये ना काम , बाज की चोंच नुकीली ||
अति का होता अंत है , सोलह आने बात
Deleteबिखराएगी कालिमा , कब तक काली रात
कब तक काली रात,सुबह का आना तय है
है असत्य की हार, सत्य की सदा विजय है
धूप छाँव का खेल, हमेशा रहा नियति का
सोलह आने बात , अंत होता है अति का ||
AABHAAR
Deleteuttam..
ReplyDeleteआभार आदरेया...
Deleteबहुत ही नुकीली प्रस्तुति.
ReplyDeleteआदरणीय आभार
Deleteचोच नुकीली काटकर,दे हम नया समाज
ReplyDeleteमिलकर हम आगे बढ़े,शुरू करे यह काज
शुरू करे यह काज,बाज जाये ये करता
इसके सिवा नाही ,कोइ दूसरा रास्ता
बहिष्कृत कर समाज,कानून में बड़ी खोच
तभी बाज की कटे ,कटेगी नुकीली चोच ,,,
recent post: बसंती रंग छा गया
मिलकर सब लें ठान तब,कठिन कौन सा काज
Deleteबने कबूतर की तरह ,'धीर' बहिष्कृत बाज
'धीर' बहिष्कृत बाज , एकता में ताकत है
पिघल जाय पाषाण , अगर मन में चाहत है
वीरानों में फूल , महक जाते हैं खिलकर
कठिन कौन सा काज,ठान लें यदि सब मिलकर ||
आपकी पोस्ट की चर्चा 17- 02- 2013 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है कृपया पधारें ।
ReplyDeleteआभार महोदय...
Deleteबहुत बढ़िया....
ReplyDeleteलाजवाब कुंडली...
सादर
अनु
आभार आदरेया.....
Deleteआभार महोदय....
ReplyDeletebahut hi lajabab lagi ..........
ReplyDeleteधार दार रचना
ReplyDeleteबहुत बढ़िया....
ReplyDeletebahut hi sundar aur dhardar prastuti
ReplyDeleteनुकीली चोच वाले बाज के होश तो ठिकाने लगाने ही होंगे ! टिप्पणियों में भी जो कुण्डलियाँ हैं उन्हें पढ़ कर आनंद आ गया ! बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ! आभार !
ReplyDeleteज़माने पर चोट |
ReplyDeleteचोंच सभी की मौन,व्यवस्था ढीली-ढीली
ReplyDeleteचोंच लड़ाये कौन, बाज की चोंच नुकीली ||
अब समय आ गया है अब अपनी चोंच नुकीली करें
सब मिलकर बाज के नुकीली चोंच काट उसे बेकार करें
latest postअनुभूति : प्रेम,विरह,ईर्षा
atest post हे माँ वीणा वादिनी शारदे !
सुन्दर रचना
ReplyDeleteमुख्तलिफ खूब सूरत अंदाज़ कहते हैं की निगम अरुण का अंदाज़े ब्यान और ....हैं और भी अरुण कुमार दुनिया में बहुत अच्छे कहतें हैं की अरुण कुमार का अंदाज़े ब्यान और ,तीरे तरकश और निशाना
ReplyDeleteकोई
और
मुख्तलिफ खूब सूरत अंदाज़ कहते हैं की निगम अरुण का अंदाज़े बयाँ और ....हैं और भी दुनिया में रविकर बहुत अच्छे कहतें हैं ,कहते हैं के अरुण कुमार का अंदाज़े बयाँ और ,तीरे तरकश और
ReplyDeleteनिशाना
कोई
और
लाजवाब कुंडली...
ReplyDeleteबहुत सही कैग [विनोद राय ] व् मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन ]की समझ व् संवैधानिक स्थिति का कोई मुकाबला नहीं . कैग [विनोद राय] मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन] नहीं हो सकते
ReplyDeleteपढ़ कर बिहारी का दोहा याद आ रहा है -बाज पराए पानि परि ,तू पंछीन न मार!
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