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Tuesday, January 15, 2013

मसखरी कर गये.................



ज्योंहि  आये  तबीयत  हरी कर  गये
साँवरी  साँझ  को  मदभरी कर  गये |

रंग   बिखरे   प्रतीची   सँवरती   रही
मेरी  रातों  को  यूँ  बावरी  कर  गये |

क्यारियाँ मस्त होकर महकने लगीं
वृक्ष की शाख को फुलझरी कर गये |

दिल में  बातें बहुत अनकही कैद थी
एक  पल  में  उन्हें  वो  बरी कर गये |

उनकी मुस्कान में था बला का असर
मेरे  गीतों  को  अंत्याक्षरी  कर  गये ||

खो गया दिल मेरा,नींद भी खो गई
भोली सूरत मगर तस्करी कर गये |

आँखों ही आँखों में बातें दो चार की
मन नहीं मानता मसखरी कर गये |

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर,दुर्ग (छत्तीसगढ़)
विजय नगर , जबलपुर (मध्यप्रदेश)

12 comments:

  1. आँखों ही आँखों में बातें दो चार की
    मन नहीं मानता मसखरी कर गये |

    वाहवाह,,,बहुत सुंदर उम्दा प्रस्तुति,,,

    recent post: मातृभूमि,

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  2. लगती उनको मसखरी, खरी खरी जो बात |
    लौह-बदन देती गला, यह मस्तूरी जात |
    यह मस्तूरी जात, सांझ मदभरी बनाती |
    लाये झंझावात, रात-भर खूब पकाती |
    तस्कर जैसी नीति, रही यह जीवन ठगती |
    अन्त्याक्षर से खेल, सुबह में रविकर लगती ||

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  3. उनके आने का इंतज़ार था बड़ी शिद्दत के साथ
    जुबां खुली भी न थी कि वो उठ कर चल दिये ...

    :):) खूबसूरती से लिखे एहसास

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  4. खो गया दिल मेरा,नींद भी खो गई
    भोली सूरत मगर तस्करी कर गये |
    वाह-वाह !

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  5. उत्कृष्ट प्रस्तुति***^^^*** खो गया दिल मेरा,नींद भी खो गई
    भोली सूरत मगर तस्करी कर गये |

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  6. वाह!!! आँखों ही आँखों में बातें दो चार की
    मन नहीं मानता मसखरी कर गये |
    एक नए अंदाज़ की कविता बहुत खूब ....

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  7. "उनकी मुस्कान में था बला का असर"

    आपकी कविता की एक एक पंक्ति

    में शब्दों का संयोजन ...लाजवाब

    बहुत सुन्दर .....

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  8. दिल में बातें बहुत अनकही कैद थी
    एक पल में उन्हें वो बरी कर गये |
    बहुत सुंदर प्रस्तुति.........

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  9. ज्योंहि आये तबीयत हरी कर गये
    साँवरी साँझ को मदभरी कर गये... वाह सुन्दर आगाज

    रंग बिखरे प्रतीची सँवरती रही
    मेरी रातों को यूँ बावरी कर गये... वाह सर वाह

    क्यारियाँ मस्त होकर महकने लगीं
    वृक्ष की शाख को फुलझरी कर गये.... हाय हाय लाजवाब

    दिल में बातें बहुत अनकही कैद थी
    एक पल में उन्हें वो बरी कर गये.... मजेदार

    उनकी मुस्कान में था बला का असर
    मेरे गीतों को अंत्याक्षरी कर गये....मस्त मदमस्त

    खो गया दिल मेरा,नींद भी खो गई
    भोली सूरत मगर तस्करी कर गये...सुन्दर बहुत खूब

    आँखों ही आँखों में बातें दो चार की
    मन नहीं मानता मसखरी कर गये .... हाहा हाहा क्या बात है

    आदरणीय सर पूरी की पूरी प्रस्तुति ह्रदय में घर कर गई हार्दिक बधाई स्वीकारें.

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