हेमंत ऋतु
(1)
शरद ला बिदा देके , आये हे हेमंत ऋतु
कँपकपासी लागथे , भुर्री ला जलावौ जी
धान के मिंजाई होगे,रबी के बोवाई होगे
नवा मूंगफल्ली आगे, भूँज के खवावौ जी |
कुसियार मेछरावै , बिही जाम गदरावै
छीताफर आँखी मारै, मन भर खावौ जी
खोखमा सिंघाड़ा आगे,जिमीकाँदा निक लागे
खावौ पियौ मौज करौ, सेहत बनावौ जी ||
[ भुर्री= अलाव, कुसियार = गन्ना, बिही जाम = अमरूद, छीताफर = सीताफल या शरीफा, खोखमा = कमल के हरे फल, जिमीकाँदा = सूरन ]
(2)
हेमंत ऋतु मा बने, हरियर भाजी आवै
मेथी चउलाइ लाल-भाजी ह मिठाथे जी
चना-भाजी मुनगा के,भाजी घलो मीठ लागे
सरसों के भाजी भाई,जम्मो ला सुहाथे जी |
बटरा गोलेंदा भाँटा, सेमी गोभी तरकारी
बंदा गोभी गाँठ गोभी,जीव भरमाथे जी
गाजर मुरई सँग, खीरा के सुवाद लेवौ
रखिया के बरी अउ बिजौरी बनावौ जी ||
[ मा = में, बने = अच्छी/ अच्छा, हरियर = हरी/ हरा, चउलाई = चौलाई भाजी, मिठाथे = स्वादिष्ट लगती है, मुनगा = सहजन, जम्मो ला = सबको, बटरा = मटर, गोलेंदा भाँटा = बड़े आकार का गोल बैगन जिसका भरता बनाया जाता है, मुरई = मूली, खीरा = ककड़ी, रखिया = सफेद हरा कद्दू जिसके गूदे से बड़ी बनाई जाती है, अउ = और ]
(3)
हेमंत ऋतु के ठंडी, कोन्हों कोट साजे हवैं
कोन्हों बंडी-पागा साज,ठंडी का भगावैं जी
स्वेटर पहिन घूमैं, कोन्हों मँद मौंहा झूमैं
गरीबहा कथरी - मा , जिनगी बचावैं जी |
कोन्हों मन तीर नहीं,कथरी के भी सहारा
अकड़ के ठंडी मा वो, प्रान ला गवावैं जी
रोटी कपड़ा मकान, मिले सबो मनखे ला
तज के सुवारथ ला ,कोन्हों आगू आवैं जी ||
[ कोन्हों कोट साजे = कोई कोट से सुसज्जित, बंडी-पागा = बिना बाँह की कोट और पगड़ी की तरह सिर पर बाँधा जाने वाला कपड़ा, मँद-मौंहा = शराब, कथरी = गुदड़ी, सुवारथ = स्वार्थ, आगू = आगे]
(4)
हमरेच देश मा हे, तीन ऋतु अउ कहाँ
शरद हेमंत अउ , शिशिर ला पाहू जी
बात मोर पतियावौ,, भाग खूब सहरावौ
छोड़ के सरग साँही,देश झन जाहू जी |
भगवान सिरजे हे, हिंद ला सरग साहीं
हिंद-माँ के सेवा कर, करजा चुकाहू जी
पइसा कमाये बर, झन छोड़ जावौ देश
अरुण के गोठ आज,सब्बो ला सुनाहू जी ||
[ हमरेच = हमारे ही, ला = को, पाहू = पाओगे, पतियावौ = भरोसा करो, सरग साँही = स्वर्ग की तरह, झान जाहू = मत जाओ, सिरजे हे = सृजन किया है, करजा = कर्जा, गोठ = बात, सब्बो = सबको , सुनाहू = सुनाओ]
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
विजय नगर, जबलपुर (मध्य प्रदेश)
मदमस्त करती रचना सर ढेरों बधाइयाँ
ReplyDeleteRECENT POST चाह है उसकी मुझे पागल बनाये
अच्छा वर्णन है। बिना शब्दार्थ के भी समझ में काफी हद तक आ रहा है।
ReplyDeleteबेहतर लेखनी !!!
ReplyDeleteवाह...बहुत सुंदर..
ReplyDeleteउम्दा भाव लिए बढिया सृजन , बधाई अरुण जी,,,
ReplyDeleterecent post हमको रखवालो ने लूटा
रोटी कपड़ा मकान, मिले सबो मनखे ला
ReplyDeleteतज के सुवारथ ला ,कोन्हों आगू आवैं जी
आनंद आ गया !
क्या खूब लिखा है, अरुण जी, बधाई आपको।
क्या बात है जी .... कंपकपी आने लगी ......
ReplyDeleteएक अलग तरह की रचना....बधाई
ReplyDeleteअरुण जी, हेमंत ऋतू पर आपकी रचनाएँ बहुत सुन्दर बन पड़ी है।।कविताएँ आकर्षित कर रही हैं।।।
ReplyDeleteबेहद प्रभावशाली साहित्य सृजन के लिए बधाई और हमें पढवाने के लिए धन्यवाद।।
हेमंत ऋतु के आगमन का गर्मजोशी से स्वागत .... बहुत सुंदर प्रस्तुति
ReplyDelete18/12/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है ..... !! धन्यवाद!
ReplyDeleteफल अगम तप तपन खींच बदरा जर बरसाए ।
ReplyDeleteसरद सिर हेमंत सींच सीतल सिसिर सुहाए ।।
आपकी रचनाएँ मस्ती लिए ... तरंग लिए ... उलास भर देती हैं मन में ...
ReplyDeleteबहुत खूब अरुण जी ...
हमरेच देश मा हे, तीन ऋतु अउ कहाँ
शरद हेमंत अउ , शिशिर ला पाहू जी
बात मोर पतियावौ,, भाग खूब सहरावौ
छोड़ के सरग साँही,देश झन जाहू जी
अत्युत्तम ! अनुपम !!
अरुण कुमार निगम जी
नमस्कार !
छत्तीसगढ़ी घनाक्षरी की यह प्रविष्टि पढ़ कर हृदय आनंदित हो गया
चारों घनाक्षरी का गा-गुनगुना कर भरपूर आनंद लेने के बाद लिखने बैठा हूं ...
वाह वाह और वाऽह !!!
क्या बात है !
:)
क्षेत्रीय भाषाओं बोलियों की रचनाओं के साथ हिंदी में शब्दार्थ दे दिए जाएं तो सोने पर सुहागे वाली बात होती है ...
मैं भी अपने राजस्थानी ब्लॉग ओळ्यूं मरुधर देश री… पर शब्दार्थ/भावार्थ दिया करता हूं
पुनः पुनः बधाई !
नव वर्ष की अग्रिम शुभकामनाओं सहित…
राजेन्द्र स्वर्णकार
gajab nigam sahab ....adbhud prastuti ke liye koti koti abhar.
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteनववर्ष की हार्दिक बधाई।।।
मंगलमय नव वर्ष हो, फैले धवल उजास ।
ReplyDeleteआस पूर्ण होवें सभी, बढ़े आत्म-विश्वास ।
बढ़े आत्म-विश्वास, रास सन तेरह आये ।
शुभ शुभ हो हर घड़ी, जिन्दगी नित मुस्काये ।
रविकर की कामना, चतुर्दिक प्रेम हर्ष हो ।
सुख-शान्ति सौहार्द, मंगलमय नव वर्ष हो ।।
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ReplyDelete♥♥HAPPY NEW YEAR...नव वर्ष मंगलमय हो !♥♥
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