पीले चाँवल द्वार.....
पंगत की रंगत गई , गया प्रेम सत्कार
नयन तरसते देखने , पीले चाँवल द्वार
पीले चाँवल द्वार , हुआ कैसा परिवर्तन
मोबाइल से कभी,मेल से मिले निमंत्रण
हुये सभी रोबोट, मशीनों की कर संगत
गया प्रेम सत्कार , खो गई पत्तल पंगत ||
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
विजय नगर, जबलपुर (म.प्र.)
बहुत खूब,,,आपने बहुत सही लिखा,,अरुण भाई
ReplyDeleteरोबोट हुआ इन्सान,देखो इनकी रंगत
खड़े२ खाने के आगे,भूल गये है पंगत,,,
recent post: बात न करो,
मोबाइल से कभी,मेल से मिले निमंत्रण
ReplyDeleteबढ़िया कुण्डलिया !!
वर्तमान परिस्थितियां बताती बहुत ही
ReplyDeleteबेहतरीन कुंडलियाँ...
:-)
आज मेल आओर मोबाइल तक ही प्रेम सीमित कहें या विस्तृत....हो गया है ॥
ReplyDeleteवर्तमान को हूबहू उतारा है अरुण जी ... बहुत लाजवाब ...
ReplyDeleteसत्यता को बहुत ही सहजता से उतारा है आदरणीय अरुण सर बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteअरुन शर्मा
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वाह!! शुभकामनाएँ.
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