कुण्डलिया :
अक्स दिखाता आइना , देता मन को ठेस
अक्स दिखाता आइना , देता मन को ठेस
भ्रम के मायाजाल में, मिलते कष्ट कलेस
मिलते कष्ट कलेस,दुखों पर सुख के परदे
सुंदरता का मोह , नयन को अंधा कर दे
भटकाता है राह , हमेशा रक्स दिखाता
देता मन को ठेस ,आइना अक्स दिखाता ||
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
विजय नगर, जबलपुर (म.प्र.)
खूबसूरत उम्दा प्रस्तुति
ReplyDeleteअरुन शर्मा
www.arunsblog.in
वाह
ReplyDeleteबहुत बढ़िया बात....
सादर
अनु
भ्रम का माया जाल तोड़ना पड़ता है ..... बहुत सुंदर ।
ReplyDeleteमन का आईना हमेशा सच बोलता है...बहुत सुंदर रचना...
ReplyDeleteबढ़िया दोहे!
ReplyDeleteभाव से परिपूर्ण कुंडली,,बधाई अरुण जी,,,
ReplyDeleteअक्स दिखता आइना,जैसा अपना फेस
सच्चाई सदा बताता,चाहे पहुचे ठेश,,,,,
recent post: बात न करो,
आपके द्वारा लिखी हर पंक्तियाँ
ReplyDeleteसुन्दर एवं भावपूर्ण सही शब्द संयोजन के साथ ...
अरुण भैया को बहुत बहुत बधाई
बहुत सुंदर दोहे..
ReplyDeletesundar aur sarahniy dohe bhavo se paripurn
ReplyDeleteबहुत बढ़िया कुण्डलिया अरुण जी बधाई आपको
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteआइना तो सच दिखाता है ... शायद हम ही कुछ ओर देखना चाहते हैं ...
ReplyDeleteदेता मन को ठेस ,आइना अक्स दिखाता !
ReplyDelete......बढ़िया बात अरुण जी बधाई