[चित्र गूगल से साभार]
झूठे वादों
से यूँ न
लुभाया करो
वादा कर ही लिया तो निभाया करो |
अश्क़ हमने
हैं पहचाने, घड़ियाल के
झूठी संवेदना
मत जताया करो |
कीमती है
जुबां , सोच कर खोलिए
बेवजह ही
जुबां ना चलाया
करो |
चट्ठे - बट्ठे सभी एक
थैले के हो
कच्चे चिट्ठे
न खुल कर सुनाया करो |
दूध के हो
धुले क्या , जरा सोच लो
तब कहीं जा के उंगली उठाया करो |
आदित्यनगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
शम्भूश्री अपार्ट्मेंट, विजय नगर,जबलपुर (म.प्र.)
अरे वाह!
ReplyDeleteदूध के हो धुले क्या , जरा सोच लो
ReplyDeleteतब कहीं जा के उंगली उठाया करो !
वाह वाह !!! क्या बात है,क्या खूब लिखा आपने,,,,अरुण जी,,,
RECENT POST: दीदार होता है,
Bahut Badhiya...
ReplyDeleteकीमती है जुबां , सोच कर खोलिए
ReplyDeleteबेवजह ही जुबां ना चलाया करो ... बहुत बढ़िया गज़ल है अरुण जी... ववाह!
बहुत खूब ..
ReplyDeletekya khoob charitra chitran kiya hai
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (05-05-2013) आ गये नेता नंगे: चर्चा मंच 1235 में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
कीमती है जुबां , सोच कर खोलिए
ReplyDeleteबेवजह ही जुबां ना चलाया करो |.......बेहतरीन !
बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति!
ReplyDeleteसाझा करने के लिए आभार...!
मुहावरो का बहुत सुन्दर प्रयोग किया है..सुन्दर सार्थक प्रस्तुति!
ReplyDeleteबहुत पते की बातें पर कोई सुने तब न !
ReplyDeleteवाह कहूँ या आह ..एक ये भी.. ..अपने भीतर भरे कीचड़ को सब पर न लुटाया करो ..
ReplyDeleteदूध के हो धुले क्या , जरा सोच लो
ReplyDeleteतब कहीं जा के उंगली उठाया करो |
...बहुत खूब! बहुत सुन्दर और सटीक रचना...
कीमती है जुबां , सोच कर खोलिए
ReplyDeleteबेवजह ही जुबां ना चलाया करो ..
जबरदस्त ... कमाल का शेर ... सटीक बिलकुल ...
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (24-05-2013) को "ब्लॉग प्रसारण-5" पर लिंक की गयी है. कृपया पधारे. वहाँ आपका स्वागत है.
ReplyDeleteदूध के हो धुले क्या , जरा सोच लो
ReplyDeleteतब कहीं जा के उंगली उठाया करो ...बहुत बढ़िया
वाह मुहावरों का बेहतरीन प्रयोग
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