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Saturday, May 4, 2013

झूठी संवेदना मत जताया करो


           
                 [चित्र गूगल से साभार]

झूठे  वादों  से   यूँ     लुभाया  करो
वादा कर ही लिया  तो निभाया करो |

अश्क़  हमने  हैं पहचाने, घड़ियाल  के
झूठी   संवेदना   मत   जताया  करो |

कीमती  है  जुबां , सोच कर खोलिए
बेवजह  ही  जुबां  ना  चलाया  करो |

चट्ठे - बट्ठे   सभी   एक  थैले  के   हो
कच्चे  चिट्ठे    खुल कर सुनाया करो |

दूध  के  हो धुले क्या , जरा सोच लो
तब कहीं जा के उंगली  उठाया करो |

अरुण कुमार निगम
आदित्यनगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
शम्भूश्री अपार्ट्मेंट, विजय नगर,जबलपुर (म.प्र.)

17 comments:

  1. दूध के हो धुले क्या , जरा सोच लो
    तब कहीं जा के उंगली उठाया करो !

    वाह वाह !!! क्या बात है,क्या खूब लिखा आपने,,,,अरुण जी,,,

    RECENT POST: दीदार होता है,

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  2. कीमती है जुबां , सोच कर खोलिए
    बेवजह ही जुबां ना चलाया करो ... बहुत बढ़िया गज़ल है अरुण जी... ववाह!

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  3. kya khoob charitra chitran kiya hai

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (05-05-2013) आ गये नेता नंगे: चर्चा मंच 1235 में "मयंक का कोना" पर भी है!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  5. कीमती है जुबां , सोच कर खोलिए
    बेवजह ही जुबां ना चलाया करो |.......बेहतरीन !

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  6. बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति!
    साझा करने के लिए आभार...!

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  7. मुहावरो का बहुत सुन्दर प्रयोग किया है..सुन्दर सार्थक प्रस्तुति!

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  8. बहुत पते की बातें पर कोई सुने तब न !

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  9. वाह कहूँ या आह ..एक ये भी.. ..अपने भीतर भरे कीचड़ को सब पर न लुटाया करो ..

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  10. दूध के हो धुले क्या , जरा सोच लो
    तब कहीं जा के उंगली उठाया करो |
    ...बहुत खूब! बहुत सुन्दर और सटीक रचना...

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  11. कीमती है जुबां , सोच कर खोलिए
    बेवजह ही जुबां ना चलाया करो ..

    जबरदस्त ... कमाल का शेर ... सटीक बिलकुल ...

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  12. आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (24-05-2013) को "ब्लॉग प्रसारण-5" पर लिंक की गयी है. कृपया पधारे. वहाँ आपका स्वागत है.

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  13. दूध के हो धुले क्या , जरा सोच लो
    तब कहीं जा के उंगली उठाया करो ...बहुत बढ़ि‍या

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  14. वाह मुहावरों का बेहतरीन प्रयोग

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