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Sunday, January 29, 2012

पतझर जैसा मधुमास


प्राची से  चली प्रतीची तक
प्रणय तृषित व्याकुल वसुधा
कब क्षितिज मिलन का द्वार हुआ
आकाश-मिलन बस एक क्षुधा.

तारावलियाँ चंचल किरणें
बारात सजी आभास हुआ
जब स्वप्न टूट कर बिखर गये
पतझर जैसा मधुमास हुआ.

वह सुधा-कलश सी चंद्रकला
सौतन जीवन की क्षणिकायें
वसुधा का रुदन, तृण का आँचल
उस पर बिखरी जल कणिकायें

नक्षत्रों से पलकें झपकीं
विस्मृत सारा उल्लास हुआ
जब स्वप्न टूट कर बिखर गये
पतझर जैसा मधुमास हुआ.

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर,दुर्ग (छत्तीसगढ़)
विजय नगर, जबलपुर (म.प्र.)
(रचना वर्ष-1974)

22 comments:

  1. नक्षत्रों से पलकें झपकीं
    विस्मृत सारा उल्लास हुआ
    जब स्वप्न टूट कर बिखर गये
    पतझर जैसा मधुमास हुआ.

    Gahan Bhav....

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  2. बहुत ही बढ़िया सर!


    सादर

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  3. नक्षत्रों से पलकें झपकीं
    विस्मृत सारा उल्लास हुआ
    जब स्वप्न टूट कर बिखर गये
    पतझर जैसा मधुमास हुआ.

    वाह .. बहुत सुन्दर रचना ..

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  4. बहुत ही बढ़िया ........
    तारावलियाँ चंचल किरणें
    बारात सजी आभास हुआ
    जब स्वप्न टूट कर बिखर गये
    पतझर जैसा मधुमास हुआ..

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  5. सुन्दर...
    जब स्वप्न टूट कर बिखर गये
    पतझर जैसा मधुमास हुआ.
    बहुत खूब...

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  6. नक्षत्रों से पलकें झपकीं
    विस्मृत सारा उल्लास हुआ
    जब स्वप्न टूट कर बिखर गये
    पतझर जैसा मधुमास हुआ... नक्षत्रों से पलकें , क्या कल्पना है ! सपने टूट जाते हैं तो ऐसा ही होता है

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  7. //नक्षत्रों से पलकें झपकीं
    विस्मृत सारा उल्लास हुआ
    जब स्वप्न टूट कर बिखर गये
    पतझर जैसा मधुमास हुआ.

    bahut bahut sundar kavita sir..

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  8. अरुण भाई धन्यवाद कविता के युग में पहुंचा दिया है आपने
    कबीर से लेकर गुप्त काल सभी प्रकार की विधा है
    माँ सरस्वती की कृपा बनी रहे आप पे
    आज जहाँ कविता के क्षेत्र में फूहडता पद्मश्री लुट रही है
    उन्हें एक बार यहाँ आ कर देखना चाहिए.

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  9. नक्षत्रों से पलकें झपकीं
    विस्मृत सारा उल्लास हुआ
    जब स्वप्न टूट कर बिखर गये
    पतझर जैसा मधुमास हुआ..........बहुत ही गहरे और सुन्दर भावो को रचना में सजाया है आपने.....

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  10. बहुत सुन्दर प्रस्तुति
    आपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 30-01-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगी। सूचनार्थ

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  11. जब स्वप्न टूट कर बिखर गये
    पतझर जैसा मधुमास हुआ.

    सुंदर शब्दों और भावों से सजी कविता|

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  12. वह सुधा-कलश सी चंद्रकला
    सौतन जीवन की क्षणिकायें
    वसुधा का रुदन, तृण का आँचल
    उस पर बिखरी जल कणिकायें
    सुन्दर चित्रण.......

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  13. क्या बात है ...वाह

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  14. वह सुधा-कलश सी चंद्रकला
    सौतन जीवन की क्षणिकायें
    वसुधा का रुदन, तृण का आँचल
    उस पर बिखरी जल कणिकायें
    प्राची से चली प्रतीची तक ...काव्य सौन्दर्य देखते ही बनता है इन पंक्तियों में ...उत्कृष्ट रचना .

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  15. कितनी खूबसूरत है रचना ... ह्रदयस्पर्शी पंक्तियाँ .

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  16. अनुपम भाव संयोजन लिए हुए बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

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  17. ह्रदयस्पर्शी पंक्तियाँ ..सुन्दर भाव लिए लाजवाब अभिव्‍यक्ति

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  18. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ...गज़ब की भाषा

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  19. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ...गज़ब की भाषा

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  20. thanx. mere blog ka smarthan karne hetu .anupam bhav mai rachna hae aaj aapki.

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