मेघाच्छदित तृषा अपूर्ण
शून्य नेत्र अश्रु-पूरित
इंद्रधनुषी फिसलन व्यापी
सौदामिनी सहमी-सहमी.
ऋतु की राजनीति अनब्याही
मेघा पिघले , द्रवित धरा
जाने किस पर गाज गिरेगी
ऋतु यामिनी मौन हँसी.
उत्पादन के बीज अंकुरित
अहा ! फसल लहरायेगी
कविताओं का शैशव भी अब
यौवन मांग रहा है.
-अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर,दुर्ग
छत्तीसगढ़.
वर्षा के दिनों का बहुत सुन्दर वर्णन किया है आपने ....बेहतरीन रचना
ReplyDeleteउत्पादन के बीज अंकुरित
ReplyDeleteअहा ! फसल लहरायेगी
कविताओं का शैशव भी अब
यौवन मांग रहा है.
वाह सर.
कल 17/07/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
वर्णा ऋतु में वर्षा का वर्णन बहुत सुखद लगा!
ReplyDeleteउत्पादन के बीज अंकुरित
ReplyDeleteअहा ! फसल लहरायेगी
कविताओं का शैशव भी अब
यौवन मांग रहा है.
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति....
बहुत सुंदर भावपूर्ण वर्षा की अभिवयक्ति...
ReplyDeleteभावपूर्ण अभिवयक्ति......
ReplyDeleteवर्णा ऋतु का वर्णन बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति....
ReplyDeleteअस्वस्थता के कारण करीब 20 दिनों से ब्लॉगजगत से दूर था
ReplyDeleteआप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,
कविताओं का शैशव भी अब
ReplyDeleteयौवन मांग रहा है.
क्या बात कही है! बहुत सुंदर कविता।
वर्षा ऋतु के आगमन पर कहे गए खूबसूरत बोल दिल को बहुत भाये दोस्त |
ReplyDeleteसुन्दर रचना |
varsha ritu ka khoobsurat chitran.khoobsurat shabdon ka chayan.badhaai.
ReplyDeleteकविताओं का शैशव भी अब
ReplyDeleteयौवन मांग रहा है
क्या बात है, निगम जी !!
बिल्कुल नए अंदाज में वर्षा ऋतु का सुंदर चित्रण।
उत्पादन के बीज अंकुरित
ReplyDeleteअहा ! फसल लहरायेगी
कविताओं का शैशव भी अब
यौवन मांग रहा है.
एक परिपक्व रचना है ... यौवन कब आ जाता है कभी कभी खुद को भी पता नहीं चलता ...
उत्पादन के बीज अंकुरित
ReplyDeleteअहा ! फसल लहरायेगी...
वर्षा ऋतु का सुंदर चित्रण...सुन्दर रचना...