Followers

Saturday, July 16, 2011

वर्षा ऋतु – एक चित्र ऐसा भी

मेघाच्छदित तृषा अपूर्ण
शून्य नेत्र अश्रु-पूरित
इंद्रधनुषी फिसलन व्यापी
सौदामिनी सहमी-सहमी.

ऋतु की राजनीति अनब्याही
मेघा पिघले , द्रवित धरा
जाने किस पर गाज गिरेगी
ऋतु यामिनी मौन हँसी.

उत्पादन के बीज अंकुरित
अहा ! फसल लहरायेगी
कविताओं का शैशव भी अब
यौवन मांग रहा है.

-अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर,दुर्ग
छत्तीसगढ़.

14 comments:

  1. वर्षा के दिनों का बहुत सुन्दर वर्णन किया है आपने ....बेहतरीन रचना

    ReplyDelete
  2. उत्पादन के बीज अंकुरित
    अहा ! फसल लहरायेगी
    कविताओं का शैशव भी अब
    यौवन मांग रहा है.

    वाह सर.

    कल 17/07/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

    ReplyDelete
  3. वर्णा ऋतु में वर्षा का वर्णन बहुत सुखद लगा!

    ReplyDelete
  4. उत्पादन के बीज अंकुरित
    अहा ! फसल लहरायेगी
    कविताओं का शैशव भी अब
    यौवन मांग रहा है.

    बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति....

    ReplyDelete
  5. बहुत सुंदर भावपूर्ण वर्षा की अभिवयक्ति...

    ReplyDelete
  6. वर्णा ऋतु का वर्णन बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति....

    ReplyDelete
  7. अस्वस्थता के कारण करीब 20 दिनों से ब्लॉगजगत से दूर था
    आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,

    ReplyDelete
  8. कविताओं का शैशव भी अब
    यौवन मांग रहा है.
    क्या बात कही है! बहुत सुंदर कविता।

    ReplyDelete
  9. वर्षा ऋतु के आगमन पर कहे गए खूबसूरत बोल दिल को बहुत भाये दोस्त |
    सुन्दर रचना |

    ReplyDelete
  10. varsha ritu ka khoobsurat chitran.khoobsurat shabdon ka chayan.badhaai.

    ReplyDelete
  11. कविताओं का शैशव भी अब
    यौवन मांग रहा है

    क्या बात है, निगम जी !!
    बिल्कुल नए अंदाज में वर्षा ऋतु का सुंदर चित्रण।

    ReplyDelete
  12. उत्पादन के बीज अंकुरित
    अहा ! फसल लहरायेगी
    कविताओं का शैशव भी अब
    यौवन मांग रहा है.

    एक परिपक्व रचना है ... यौवन कब आ जाता है कभी कभी खुद को भी पता नहीं चलता ...

    ReplyDelete
  13. उत्पादन के बीज अंकुरित
    अहा ! फसल लहरायेगी...

    वर्षा ऋतु का सुंदर चित्रण...सुन्दर रचना...

    ReplyDelete