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Thursday, July 14, 2011

चाँद - उम्र के कैमरे से तीन चित्र

ऐ चाँद तू बचपन में
खिलौना सा लगे है.
यौवन में तू परियों का
बिछौना सा लगे है.
मैं आज तुझे गौर से
निहारता जो हूँ.
रोटी के सामने में
तू बौना सा लगे है.


अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर,
दुर्ग
छत्तीसगढ़

19 comments:

  1. बहुत सुन्दर ...

    चाँद के कुछ रूप मैंने भी लिखे थे ..कभी समय हो तो पढियेगा


    आह चाँद ...

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  2. बेहतरीन.
    बहुत बढ़िया शब्द चित्र खींचे हैं सर.

    सादर

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  3. कमाल के भाव लिए है रचना की पंक्तियाँ .......

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  4. चंद शब्द चाँद की खुबसूरत अभियक्ति करते है....

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  5. कम शब्दों में शब्दों की चित्रकारी बहुत बढ़िया रही!

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  6. रोटी के सामने में
    तू बौना सा लगे है.
    bahut khoob

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  7. बेहतरीन अरूण भाई , बधाई। चांद में भी रोज़ी रोटी की तलाश ज़ारी है।

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  8. Arun ji pahli bar aapki kavita padh rahi hoon.bahut achchi lagi aapke blog par aakar achcha laga.ane blog par bhi aamantrit karti hoon.

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  9. जो मन पर छाया होता है , वही नज़र आने लगता है ...बेहतरीन अभिव्यक्ति.

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  10. आज 15- 07- 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....


    ...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
    ____________________________________

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  11. वाह ..बहुत खूब कहा है ।

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  12. वाह चंद पंक्तियो मे सब बयाँ कर दिया।

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  13. बहुत सुन्दर .

    आप का बलाँग मूझे पढ कर अच्छा लगा , मैं भी एक बलाँग खोली हू
    लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/

    आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें.

    अगर आपको love everbody का यह प्रयास पसंद आया हो, तो कृपया फॉलोअर बन कर हमारा उत्साह अवश्य बढ़ाएँ।

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  14. वाह!बहुत कम शब्दों मे गहरी बात ।

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  15. बहुत ही संुदर भावों की सृष्टि की है। साधुवाद।

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