मैं क्या था ?
जो हूँ तेरे कारण हूँ.
भाषा है तू
मैं केवल उच्चारण हूँ.
भाव दिये तूने मुझको जब
कवि बना मैं
किरणों का आलोक दिया तब
रवि बना मैं
श्रेष्ठ बनाया तूने
मैं साधारण हूँ.
भाषा है तू
मैं केवल उच्चारण हूँ.
निर्बल था मैं तूने मुझको
सबल बनाया
कीचड़ में पलने वाले को
कमल बनाया
तेरे उत्कट प्रेम का मैं
उदाहरण हूँ.
भाषा है तू
मैं केवल उच्चारण हूँ.
-अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर,दुर्ग
(छत्तीसगढ़)
(रचना सन् 1983)
बहुत खूबसूरत भावों को समेटे पढते हुए लगा कि कोई प्रार्थना गाई जा रही है ... सुन्दर ..
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति , अरूण भाई को बधाई।
ReplyDeleteनिर्बल था मैं तूने मुझको सबल बनाया,
कीचड़ में पलने वाले को कमल बनाया।
बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति,
ReplyDeleteविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल २३-६ २०११ को यहाँ भी है
ReplyDeleteआज की नयी पुरानी हल चल - चिट्ठाकारों के लिए गीता सार
तेरे उत्कृष्ट प्रेम का मैं
ReplyDeleteएक उदहारण हूँ......
हर पंक्ति सुन्दरता से लिखी गई.हर शब्द गहन अर्थ लिए!!
धन्यवाद:)
आपका mail ID नहीं है ..इस लिए आपको यहाँ लिंक दे रही हूँ ...एक नज़र डालियेगा ---
ReplyDeleteआकाश को पाना है , फिर सूरज मेरी मुट्ठी में ...
सुन्दर,लयबद्ध ,प्रवाहयुत एवं भावपूर्ण गीत
ReplyDeletebahut sunder bhav ...
ReplyDeletesunder,komal rachna ...
badhai.....
बेहतरीन लिखा है सर!
ReplyDeleteतेरे उत्कट प्रेम का मैं
ReplyDeleteउदाहरण हूँ.
भाषा है तू
मैं केवल उच्चारण हूँ.
सुन्दर उपमाओं की सुन्दर काव्यपंक्तियां...
भाषा है तू ,
ReplyDeleteमैं केवल उच्चारण हूँ ,
तेरे प्रेम का उदाहरण हूँ .भाषा है तू ,
मैं केवल उच्चारण हूँ ,
तेरे प्रेम का उदाहरण हूँ .पूर्ण समर्पण है कविता में .
श्रेष्ठ बनाया तूने
ReplyDeleteमैं साधारण हूँ.
भाषा है तू
मैं केवल उच्चारण हूँ.
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति.......
bhut hi khubsurat abhivakti...
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