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Friday, June 24, 2011

प्यार में हिसाब नहीं जानता.....

हुश्न और शवाब नहीं जानता
प्यार में हिसाब नहीं जानता.

छू लिये थे लब किसी के एक दिन
तब से मैं गुलाब नहीं जानता.

ढाई आखरों में उलझा इस तरह
धर्म की किताब नहीं जानता.

प्यार के नशे में चूर – चूर हूँ
चीज क्या शराब नहीं जानता.

हर सवाल पर न “क्यों” कहा करो
“क्यों” का मैं जवाब नहीं जानता .

-अरुण कुमार निगम
 आदित्य नगर , दुर्ग (छत्तीसगढ़)

20 comments:

  1. ढाई आखरों में उलझा इस तरह
    धर्म की किताब नहीं जानता.

    ....बहुत सुन्दर और सारगर्भित प्रस्तुति..भावों और शब्दों का लाज़वाब संयोजन..

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  2. मैं भी नहीं जानता।

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  3. बहुत सुन्दर ..

    छू लिये थे लब किसी के एक दिन
    तब से मैं गुलाब नहीं जानता.

    क्या खूबसूरत एहसास हैं ...

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  4. ढाई आखरों में उलझा इस तरह
    धर्म की किताब नहीं जानता

    खूबसूरत एहसास

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  5. हर सवाल पर न “क्यों” कहा कहा करो
    “क्यों” का मैं जवाब नहीं जानता .... bhut hi behtreen abhivakti...

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  6. ढाई आखरों में उलझा इस तरह,
    धर्म की किताब नहीं जानता।
    बहुत सुन्दर शे"र , ख़ूबसूरत ग़ज़ल।

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  7. बशुत सुन्दर सार्थक अभिव्यक्ति| धन्यवाद|

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  8. छू लिये थे लब किसी के एक दिन
    तब से मैं गुलाब नहीं जानता.

    ढाई आखरों में उलझा इस तरह
    धर्म की किताब नहीं जानता.

    बहुत खूबसूरत....

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  9. बहुत बढ़िया ग़ज़ल!
    सभी अशआर बहुत खूबसूरत हैं!

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  10. सुंदर गजल है, आभार। वार्ता की 401 वीं पोस्ट पर आपका स्वागत है।

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  11. ढाई आखरों में उलझा इस तरह
    धर्म की किताब नहीं जानता.

    bahut sunder ko jaye duniya ka roop yadi har koi aesa hojaye
    rachana

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  12. ढाई आखरों में उलझा इस तरह
    धर्म की किताब नहीं जानता.

    bahut sundar gazal

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  13. छू लिये थे लब किसी के एक दिन
    तब से मैं गुलाब नहीं जानता.

    bahut khoob.poori gzl khoob.

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  14. अपना- अपना नशा है , किसी को कुछ, किसी को कुछ !

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  15. ढाई आखरों में उलझा इस तरह
    धर्म की किताब नहीं जानता.

    वाह! अरुण भाई....बहुत उम्दा ख़याल...
    सुन्दर कहन के लिये सादर बधाई स्वीकारें...

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  16. ढाई आखरों में उलझा इस तरह
    धर्म की किताब नहीं जानता.

    बहुत अर्थपूर्ण पंक्तियाँ ....

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  17. वाह एक से बड़कर एक ... मैं भी नहीं जानता :)

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  18. ढाई आखरों में उलझा इस तरह
    धर्म की किताब नहीं जानता.
    वाह!

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