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Saturday, July 1, 2017

आप कितने बड़े हो गए हैं

ग़ज़ल पर एक प्रयास -

आप कितने बड़े हो गए हैं
वाह चिकने घड़े हो गए हैं

पाँव पड़ते नहीं हैं जमीं पे
कहते फिरते, खड़े हो गए हैं

दिल धड़कता कहाँ है बदन में
हीरे मोती जड़े हो गए हैं

पत्थरों की हवेली बनाकर
पत्थरों से कड़े हो गए हैं

शान शौकत नवाबों सरीखी
फिर भी क्यों चिड़चिड़े हो गए हैं ।

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)

8 comments:

  1. ऐसा नहीं कि बहुत समय बाद पढ़ा हो आपको, हाँ ... प्रतिक्रिया में बहुत दिनों बाद कह रही हूँ कि व्यंग्यात्मक ग़ज़ल बहुत ही बढ़िया है

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  2. अन्तर्राष्ट्रीय ब्लोगर्स डे की शुभकामनायें .... #हिन्दी_ब्लॉगिंग

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  3. वाह बहुत सुंदर गजल
    शुभकामनाएं

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  4. सुन्दर ग़ज़ल

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