अरुण दोहे -
पद के मद में चूर है, यारों उनका ब्रेन
रिश्तों में भी कर रहे, डेकोरम मेन्टेन ।।
रिश्तों में भी कर रहे, डेकोरम मेन्टेन ।।
साठ साल की उम्र तक, पद-मद देगा साथ
बिन रिश्तों के मान्यवर, खाली होंगे हाथ ।।
बिन रिश्तों के मान्यवर, खाली होंगे हाथ ।।
पद-मद नश्वर जानिए, चिरंजीव है प्यार
संग रहेगी नम्रता, अहंकार बेकार ।।
संग रहेगी नम्रता, अहंकार बेकार ।।
लाट गवर्नर आज हो, कल होगे तुम आम
सिर्फ एक पद "पेंशनर", फिर आएगा काम ।।
सिर्फ एक पद "पेंशनर", फिर आएगा काम ।।
पद-पैसों के दर्प में, हमें न जायें भूल
अरुण अभी भी वक्त हैं, बदलें चंद असूल ।।
अरुण अभी भी वक्त हैं, बदलें चंद असूल ।।
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (23-05-2017) को
ReplyDeleteमैया तो पाला करे, रविकर श्रवण कुमार; चर्चामंच 2635
पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार
Deleteबेहतरीन दोहे सर जी . ब्रेन,डेकोरम मेन्टेन,पेंशनर,लाट गवर्नर जैसे शब्दों का अच्छा प्रयोग।
ReplyDelete