
(ओबीओ से साभार )
सावन पावन है मन भावन , हाय हिया हिचकोलत झूलै
बाँटत बूँदनियाँ बदरी ,बदरा रसिया रस घोरत झूलै
झाँझर झाँझ बजै
झनकै, झमकै झुमके झकझोरत झूलै
ए सखि आवत लाज मुझे सजना उत्
भाव विभोरत झूलै
सावन के पावन अवसर पर ओपन बुक्स
ऑन लाइन चित्र से काव्य तक , प्रतियोगिता अंक – 16 में
द्वितीय पुरस्कार प्राप्त रचना .
http://openbooksonline.com/group/pop/forum/topics/5170231:Topic:252152
http://openbooksonline.com/group/pop/forum/topics/5170231:Topic:252152
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
शम्भू श्री अपार्ट्मेंट , विजय नगर, जबलपुर (म.प्र.)
बहुत सुन्दर.............
ReplyDeleteपुरस्कार की बधाई....
रक्षाबंधन की शुभकामना स्वीकारें.
सादर
अनु
बहुत सुन्दर रचना..
ReplyDeleteपुरस्कार प्राप्ति के लिए बहुत -बहुत बधाई..:-)
इस पावन पर्व पर आपको ढ़ेर सारी शुभकामनाये :-)
इतना सुन्दर अनुप्रास और इतनी सहजता से...
ReplyDeleteआभार
झाँझर झाँझ बजै झनकै, झमकै झुमके झकझोरत झूलै
ReplyDeleteए सखि आवत लाज मुझे सजना उत् भाव विभोरत झूलै,,,,,,
बहुत बेहतरीन भाव, मनभावन पंक्तियाँ,,,
पुरस्कार प्राप्ति के लिए बहुत -बहुत बधाई.,,,निगम जी,
रक्षाबँधन की हार्दिक शुभकामनाए,,,
RECENT POST ...: रक्षा का बंधन,,,,
वाह ... बहुत ही बढिया ...
ReplyDeleteबधाई सहित अनंत शुभकामनाएं
कल 03/08/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
बहुत ही बढिया.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया... शुभकामनाएँ...
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteबहुत सुंदर!
ReplyDeleteपुरुस्कार की बधाई भी स्वीकारें
बस हमारी एक शंका मिटा दें !!
सजना अलग और
सजनी अलग झूले
में क्यों झूल रहे हैं
दिखा रहे हैं फोटो आप
अलग अलग
पर इस पर मुँह से
कुछ क्यों ना बोल रहे हैं ?
बहुत सुंदर ... पुरस्कार के लिए बधाई ....
ReplyDeleteपुरस्कार की बधाई....
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति..आभार..
सुंदर रचना! पुरस्कार पाने के लिए हार्दिक बधाई !:)
ReplyDeleteबहुत बधाइयाँ आदरणीय अरुण भईया...
ReplyDeleteसवैया का आनुप्रासिक माधुर्य लय ताल और भाव समर्पण आवत लाज क्या कहने हैं भाई साहब .
ReplyDeleteWEDNESDAY, AUGUST 1, 2012
मत्तगयंद सवैया
bahut hi sundar rachna....puraskrat hone hetu badhayi!!
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