(1)
डूबे मत शिप फ्रेंड की , आओ आज मनायँ
कृष्ण-सुदामा की तरह,मैत्री सभी निभायँ
मैत्री सभी निभायँ , कर्ण को भी मत भूलें
प्रेम त्याग बलिदान , सभी सीमायें छू लें
सिर्फ स्वार्थ के लिये , न हों मन में मंसूबे
अरुण कहे ‘मत कभी,मित्रता नौका डूबे’ ||
(2)
अंधे लँगड़े की कथा , आज आ गई याद
मेला दर्शन का चढ़ा , दोनों को उन्माद
दोनों को उन्माद
, मित्रता उनमें
गहरी
गंगाराम बिन नैन
, पैर बंशी के बैरी
जुगत लगा कर काँध, बिठा बंशी को गंगा
दोनों साथी घूम
, लिये मेला
बहुरंगा ||
(3)
मगरमच्छ अब भी वही ,सुन बंदर नादान
जामुन देना छोड़ दे , मगरमच्छ शैतान
मगरमच्छ शैतान , कलेजा खाने आतुर
मैडम का वह दास, छलेगा तुझको निष्ठुर
नहीं मित्रता इसकी, तुझको रास आयेगी
चालाकी इक रोज, तुझे ही खा जाएगी ||
(सभी चित्र गूगल से साभार)
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
शम्भू श्री अपार्ट्मेंट , विजय नगर, जबलपुर (म.प्र.)
वाह .. करिश सुदामा की मैत्री जैसी कोई नहीं ...
ReplyDeleteलाजवाब कुण्डियों के माध्यम से इस दिवस को याद करना ... अनोखा अंदाज़ है अरुण जी ...
आपको बधाई हो मित्रता दिवस की ...
वाह भाई वाह |
ReplyDeleteशुभकामनायें ||
बहुत ख़ूब!
ReplyDeleteआपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 06-08-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-963 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
वाह वाह...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया अरुण जी....
डूबे मत शिप फ्रेंड की , आओ आज मनायँ
:-)
बेहतरीन कुण्डलिया...
सादर
अनु
सुंदर कुंडलियाँ सार्थक पोस्ट, मित्रता दिवस की हार्दिक बधाई
ReplyDeleteमिले जिंदगी में सबको,प्रिय मित्र का सहारा
ReplyDeleteटूटे ना ये रिश्ता, आओ लगाएं नारा
जब हो भवर में कस्ती, मै ढूंढता किनारा
बन पतवार हमको, मिले मित्र का सहारा
तुमसा हो मित्र जिसका, सुन्दर लगे नजारा
भाव विभोरित करता ये ब्लॉग सबका प्यारा
सुंदर ढंग से इस प्यारे रिश्ते को समझाती आपकी लिखी पंक्तियाँ ..... हैप्पी फ्रेंडशिप डे
ReplyDeleteमगरमच्छ अब भी वही ,सुन बंदर नादान
ReplyDeleteजामुन देना छोड़ दे , मगरमच्छ शैतान
मगरमच्छ शैतान , कलेजा खाने आतुर
मैडम का वह दास, छलेगा तुझको निष्ठुर
नहीं मित्रता इसकी, तुझको रास आयेगी
चालाकी इक रोज, तुझे ही खा जाएगी ||
घूस भ्रष्टाचार सह कर चुप खड़ा है आदमी |
किस भरत के भारत को बोला गया महान है ||
ऊपर से तुर्रा ये गातें हैं ये -ये मेरा इंडिया आई लव माई इंडिया ....सुन्दर सार्थक विचार को उत्प्रेरित करती पोस्ट .
अच्छा व्यंग्य किया है मम्मीजी पे ,खबरदार भी खूब किया है "मौन -सिंह" को .रामदेव आने वाले हैं अब दिल्ली में ,नौ अगस्त से पहले कुछ होगा दिल्ली में .
सहज सटीक सीख देती कुंडलियाँ ....
ReplyDeleteदोस्ती ऐसी हो सदा,जो अपने मन को भाय
ReplyDeleteकष्ट पड़े में दुःख हरे, सुख में साथ निभाय,,,,
दोस्ती पर बहुत बढ़िया कुण्डलियाँ,,,बधाई ,,,अरुण जी
RECENT POST...: जिन्दगी,,,,
दोस्ती की कुडलियां बहुत ही प्यारी लगीं ।
ReplyDeleteअलग हटकर रचना...बहुत अच्छी लगी !!
ReplyDeleteएक अलग अंदाज़ में लिखी सुन्दर रचना..आभार..अरुण जी
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबेहतरीन कुंडलियां निगम जी ....बधाईयाँ जी
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी लगी कुंडलियां.
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