1. रंग
दोस्तों को आस्तीनों में पाला है
इस वजह से रंग मेरा काला है.
2.दोस्ती
बात इतनी कहके चारागर गया
दोस्तों ने डस लिया, ये मर गया.
आँख मूँदे , बाँह फैलाए था मैं
पार सीने के मेरे खंजर गया.
मयकदे में दोस्ती के नाम पर
जहर का प्याला मिला,सागर गया.
वो रहें महफूज मौसम से ‘अरुण’
बस इसी कोशिश में मेरा घर गया.
3. रिश्ते
जिन रिश्तों पर नाज बहुत था
उनसे ही शर्मिंदा हूँ
जहरीले धोखे खाकर भी
अब तक कैसे जिंदा हूँ.
गम के मोल में खुशियाँ बेचीं
कुछ बेदाम ही बाँटी थी
बाजारों में चर्चा है कि
किस जग का वासिंदा हूँ.
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर,दुर्ग (छतीसगढ़)
विजय नगर,जबलपुर (मध्य प्रदेश)
यह क्या है भाई ?
ReplyDeleteखून,
आंसू
क़त्ल
बेवफाई
जहर
खंजर
रिश्ते
दर्द
रंग
फट गया कलेजा ||
ऐ दोस्त तू जिए जा ||
बधाई बन्धु||
गम के मोल में खुशियाँ बेचीं
ReplyDeleteकुछ बेदाम ही बाँटी थी
बाजारों में चर्चा है कि
किस जग का वासिंदा हूँ.
वाह! वेहतरीन
behtreen prstuti...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteteeno tasweeron se kuch humne utha liya -
ReplyDeleteजिन रिश्तों पर नाज बहुत था
उनसे ही शर्मिंदा हूँ
जहरीले धोखे खाकर भी
अब तक कैसे जिंदा हूँ... bahut badhiyaa
teeno hi behtreen prastuti.आँख मूँदे , बाँह फैलाए था मैं
ReplyDeleteपार सीने के मेरे खंजर गया.in panktiyon ne to nishabd kar diya.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ........लाजबाब
ReplyDelete“यह ज़िंदगी
ReplyDeleteगम का समंदर
नाव नहीं है
पार कैसे जायेगा
कैसे कटे सफर...!!
(आपकी रचनाओं को पढ़ उपजा यह ‘तांता’)
सुन्दर रचनाएं अरुण भाई...
सादर बधाई...
सुन्दर रचनाएं... वेहतरीन
ReplyDeleteजिन रिश्तों पर नाज बहुत था
ReplyDeleteउनसे ही शर्मिंदा हूँ.
अक्सर ऐसा होता है।धन्यवाद।
वह अरुण जी ... दोस्तों की हकीकत बयान कर दी आपने ...
ReplyDeleteअक्सर ऐसा होता है ...
दोस्तों को आस्तीनों में पाला है
ReplyDeleteइस वजह से रंग मेरा काला है.
रिश्तों नातों पर लिखी रचनाएँ सच के एकदम समीप हैं.यह अभिव्यक्ति पसंद आयी,....! अच्छी रचना का आभार !
Absolutely right sir..
ReplyDeleteVery nice creation.
Regarda..!
खरी अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteसुन्दर!