"मैं की बीमारी" - अरुण कुमार निगम
मैं मैं मैं की बीमारी है
खुद का विपणन लाचारी है।
मीठी झील बताता जिसको
देखा चख कर वह खारी है।
पैर कब्र में लटके लेकिन
आत्म-प्रशंसा ही जारी है।
कई बार यह भ्रम भी होता
मनुज नहीं वह अवतारी है।
सभागार में लोग बहुत पर
माइक से उसकी यारी है।
है जुगाड़ मंत्री से उसका
इसीलिए तो दमदारी है।
"अरुण" निकट मत उसके जाना
उसको मैं की बीमारी है।।
- अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग, छत्तीसगढ़
बहुत सुंदर व्यंग रचना।
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