*जलहरण घनाक्षरी*
(विधान - परस्पर तुकांतता लिए चार पद/ 8, 8, 8, 8 या 16, 16 वर्णों पर यति/ अंत में दो लघु अनिवार्य)
धूल धूसरित तन, केश राशि श्याम घन
बाल क्रीड़ा में मगन, अलमस्त हैं किसन।
छनन छनन छन, पग बजती पैजन
लिपट रही किरण, चूम रही है पवन।
काज तज देवगण, देख रहे जन-जन
पुलकित तन-मन, निर्निमेष से नयन।
काग एक उसी क्षण, देख के रोटी माखन
आया छीन भाग गया, उत्तर दिशा गगन।।
रचनाकार - अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर दुर्ग
छत्तीसगढ़
(विधान - परस्पर तुकांतता लिए चार पद/ 8, 8, 8, 8 या 16, 16 वर्णों पर यति/ अंत में दो लघु अनिवार्य)
धूल धूसरित तन, केश राशि श्याम घन
बाल क्रीड़ा में मगन, अलमस्त हैं किसन।
छनन छनन छन, पग बजती पैजन
लिपट रही किरण, चूम रही है पवन।
काज तज देवगण, देख रहे जन-जन
पुलकित तन-मन, निर्निमेष से नयन।
काग एक उसी क्षण, देख के रोटी माखन
आया छीन भाग गया, उत्तर दिशा गगन।।
रचनाकार - अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर दुर्ग
छत्तीसगढ़
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (19-09-2018) को "दिखता नहीं जमीर" (चर्चा अंक- 3099) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
धन्यवाद आपका
Deleteवाह बेहतरीन !!!!
ReplyDeleteवाह !!बहुत खूब आदरणीय 👌
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