कौवा नजर आता नहीं........
घर की चौखट पर कोई बूढ़ा नजर आता नहीं
आश्रमों में भीड़ है बेटा नजर आता नहीं।
बैंक के खाते बताते आदमी की हैसियत
प्यार का दिल में यहाँ जज़्बा नजर आता नहीं।
दफ़्न आँगन पत्थरों में, खेत पर बंगले खड़े
अब दरख्तों का यहाँ साया नजर आता नहीं।
पूर्वजों के पर्व पर हैं दावतें ही दावतें
पंगतों की भीड़ में अपना नजर आता नहीं।
बाट किसकी जोहता है धर उडद के तू बड़े
शह्र में तेरे "अरुण" कौवा नजर आता नहीं।
- अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
घर की चौखट पर कोई बूढ़ा नजर आता नहीं
आश्रमों में भीड़ है बेटा नजर आता नहीं।
बैंक के खाते बताते आदमी की हैसियत
प्यार का दिल में यहाँ जज़्बा नजर आता नहीं।
दफ़्न आँगन पत्थरों में, खेत पर बंगले खड़े
अब दरख्तों का यहाँ साया नजर आता नहीं।
पूर्वजों के पर्व पर हैं दावतें ही दावतें
पंगतों की भीड़ में अपना नजर आता नहीं।
बाट किसकी जोहता है धर उडद के तू बड़े
शह्र में तेरे "अरुण" कौवा नजर आता नहीं।
- अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 08/10/2018 की बुलेटिन, अकेलापन दूर करने का उपाय “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !व
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