"हिन्दी भाषा भारत के लिए परम हितकारी है"
(जनकवि कोदूराम "दलित" जी की ताटंक छन्द आधारित हिन्दी कविता)
सरल सुबोध सरस अति सुंदर, लगती प्यारी-प्यारी है
देवनागरी लिपि जिसकी सारी लिपियों से न्यारी है
ऋषि-प्रणीत संस्कृत भाषा जिस भाषा की महतारी है
वह हिन्दी भाषा भारत के लिए परम हितकारी है।
सहती आई जो सदियों से संकट भारी भारी है
किन्तु रही जीवित अब तक उस भाषा की बलिहारी है
तुलसी सूर रहीम आदि ने की जिसकी रखवाली है
वह हिन्दी भाषा भारत के लिए परम हितकारी है।
कर न सकी जिसकी समता अरबी उर्दू हिंदुस्तानी
बनी सर्व-सम्मति से जो सारी भाषाओं की रानी
मंद पड़ गई जिसके आगे अँगरेजी बेचारी है
वह हिन्दी भाषा भारत मे लिए परम हितकारी है।
"जय हिन्दी-जय देव नागरी" - कहती दुनिया सारी है
आज हिन्द का बच्चा-बच्चा जिसका बना पुजारी है
भरी अनूठे रत्नों से जिसकी साहित्य-पिटारी है
वह हिन्दी भाषा भारत मे लिए परम हितकारी है।
रचनाकार - जनकवि कोदूराम "दलित"
https://bulletinofblog.blogspot.com/2018/09/blog-post_14.html
ReplyDeleteआभार आपका
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (15-09-2018) को "हिंदी पर अभिमान कीजिए" (चर्चा अंक-3095) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हिन्दी दिवस की शुभकामनाओं के साथ...।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार आपका
Deleteसुन्दर। शुभकामनाएं।
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद
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