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Sunday, November 13, 2016

सही फैसला या गलत, बतलायेगा वक्त.....

कुछ सामयिक दोहे .....

मैला है यदि आचरण, नीयत में है खोट 
रावण मिट सकते नहीं, चाहे बदलो नोट ।
 
नैतिक शिक्षा लुप्त है, सब धन पर आसक्त 
सही फैसला या गलत, बतलायेगा वक्त । 

बचपन बस्ते में दबा, यौवन काँधे भार 
प्रौढ़ दबा दायित्व में, वृद्ध हुए लाचार । 

पद का मद सँभला नहीं, कद पर धन की छाँव 
चौसर होती जिंदगी, नए नए नित दाँव । 

दिशा दशा को देख के, कवि-मन चुभते तीर 
अंधा बाँटे रेवड़ी, गदहा खाये खीर । 


अरुण कुमार निगम

4 comments:

  1. http://bulletinofblog.blogspot.in/2016/11/blog-post_13.html

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  2. बहुत सुंदर, एक-एक दोहा एक से बढ़कर एक

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  3. बहुत सुंदर, एक-एक दोहा एक से बढ़कर एक

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  4. वाह अरुण जी ... बहुत ही लाजवाब औरर कमाल के दोहे ... आपका अंदाज़ कमाल का है ...

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