16, 15 मात्राओं
पर यति देकर दीर्घ,लघु से अंत, अतिशयोक्ति
अनिवार्य
देह मूँगियाँ रेंग गई हैं , देख चींटियों का यह काम
प्रेषित उनने किया नहीं है, किन्तु मिला हमको पैगाम ।
अनुशासित हैं सभी चींटियाँ, नहीं परस्पर है टकराव
मन्त्र एकता का बतलातीं, और सिखाती हैं सद्भाव ।
प्रेषित उनने किया नहीं है, किन्तु मिला हमको पैगाम ।
अनुशासित हैं सभी चींटियाँ, नहीं परस्पर है टकराव
मन्त्र एकता का बतलातीं, और सिखाती हैं सद्भाव ।
बचपन में थी पढ़ी कहानी , आखेटक ने
डाला जाल
फँसे कबूतर परेशान थे , दिखा सामने सबको काल ।
वृद्ध कबूतर के कहने पर , सबने भर ली संग उड़ान
आखेटक के हाथ न आये , और बचा ली अपनी जान ।
फँसे कबूतर परेशान थे , दिखा सामने सबको काल ।
वृद्ध कबूतर के कहने पर , सबने भर ली संग उड़ान
आखेटक के हाथ न आये , और बचा ली अपनी जान ।
क्या बिसात सोचो तिनकों की, हर तिनका
नन्हा कमजोर
पर हाथी भी तोड़ न पाये , जब बन जाते मिलकर डोर ।
नाजुक नन्हीं - नन्हीं बूँदें , कर बैठीं मिल प्रेम - प्रगाढ़
सावन में बरसी भी ना थीं , सरिताओं में आई बाढ़ ।
पर हाथी भी तोड़ न पाये , जब बन जाते मिलकर डोर ।
नाजुक नन्हीं - नन्हीं बूँदें , कर बैठीं मिल प्रेम - प्रगाढ़
सावन में बरसी भी ना थीं , सरिताओं में आई बाढ़ ।
सागर पर है पुल सिरजाना , मन में आया नहीं विचार
रघुराई की वानर - सेना , झट कर बैठी पुल तैयार ।
नहीं असम्भव कुछ भी जग में,मिलजुल कर मन में लो ठान
किया नहीं संकल्प कि समझो , पर्वत होवे धूल समान ।
रघुराई की वानर - सेना , झट कर बैठी पुल तैयार ।
नहीं असम्भव कुछ भी जग में,मिलजुल कर मन में लो ठान
किया नहीं संकल्प कि समझो , पर्वत होवे धूल समान ।
जाति - धर्म का भेद भुलाके , एक बनें हम
मिलकर आज
शक्ति-स्वरूपा भारत माँ का, क्यों ना हो फिर जग पर राज ।
नन्हें - नन्हें जीव सिखाते , आओ मिलकर करें विचार
मन्त्र एकता का अपनायें , करें देश का हम उद्धार ।
शक्ति-स्वरूपा भारत माँ का, क्यों ना हो फिर जग पर राज ।
नन्हें - नन्हें जीव सिखाते , आओ मिलकर करें विचार
मन्त्र एकता का अपनायें , करें देश का हम उद्धार ।
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, छत्तीसगढ़
bahut khoob arun ji
ReplyDeletekabhi humare blog par bhi padhare
raj
http://rajkumarchuhan.blogspot.in/
सुन्दर प्रस्तुति-
ReplyDeleteआभार आदरणीय-
वाह ... लाजवाब ... आल्हा छंद ... नई विधा की जानकारी ... मज़ा आया अरुण जी ...
ReplyDeleteवाह ... लाजवाब ..बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब रचना...
ReplyDelete:-)
बहुत सुंदर रचना.
ReplyDeleteवाह !
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर मजा आ गया ....शिक्षा प्रद आल्हा छंद
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