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Wednesday, December 11, 2013

११-१२-१३


ग्यारह - बारह  बाद में , है  तेरह का साल
अंकों ने  कैसा  किया , देखो  आज कमाल
देखो आज कमाल , दिवस यह  अच्छा बीते
आज किसी के  स्वप्न , नहीं रह जायें रीते 
दिल कहता है अरूण, आज तू कुंडलिया कह
है तेरह का साल , मास- तिथि बारह-ग्यारह ||

अरूण कुमार निगम

आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)

8 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बृहस्पतिवार (12-12-13) को होशपूर्वक होने का प्रयास (चर्चा मंच : अंक-1459) में "मयंक का कोना" पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. बढ़िया है भाई जी-

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  3. अच्छा संयोग है...

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  4. कमाल की सुन्दर अभिव्यक्ति...! बधाई
    RECENT POST -: मजबूरी गाती है.

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  5. ११ १२ १३ ...की शानदार शुभ कुण्डलिया बहुत- बहुत बधाई अरुण निगम जी.

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  6. ग्यारह-बारह-तेरह..... दुबारा कभी नहीं आएगा।

    बहुत बढिया !

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