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Sunday, February 5, 2012

सबके अपने रास्ते हैं


कौन सा मौसम है आया
छोड़ता  है  संग  साया.

ना  कहीं अठखेलियाँ हैं
हर  तरफ  बेचैनियाँ हैं.
प्रेम  झूठा ,  मीत झूठे
यूँ  रहे  अनुभव अनूठे.
टूटती  जगती की माया
ना कोई अपना – पराया.

आप  किसके  वास्ते है
सबके  अपने  रास्ते हैं.
सुर मधुर बंसी के खोये
हम  अकेले में ही रोये.
साथ किसने है निभाया
आईने ने  मुँह चिढ़ाया.

वो  जमाना अब कहाँ  है
स्मृति  का  कारवाँ   है
शोक का अहसास कम है
आँख हाँ थोड़ी सी नम है.
रास अब जीवन न आया
मृत्यु ने मन को लुभाया.


अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर,दुर्ग (छत्तीसगढ़)
विजय नगर, जबलपुर (म.प्र.)

35 comments:

  1. वो जमाना अब कहाँ है
    स्मृति का कारवाँ है
    शोक का अहसास कम है
    आँख हाँ थोड़ी सी नम है.
    रास अब जीवन न आया
    मृत्यु ने मन को लुभाया..... जी बिलकुल सही आज हर किसी की अपने-अपने रास्ते है....बेहतरीन अभिवयक्ति....

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  2. रास्ते तो सबके अपने अपने ही होते हैं , पर सहयात्री बन चल सकते हैं - न जाने किस गली में ज़िन्दगी की शाम हो

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  3. आओ भाई बहुत समय हो गया गज़ल या गीत से जी नहीं भरता
    आपके सानिध्य में सत्संग हो जाये .
    वो जमाना अब कहाँ है
    स्मृति का कारवाँ है
    वो जमाना याद करें.आनंद आ गया अरुण

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  4. नकारात्मक सी कविता??
    मगर गहरी सोच लिए..

    सादर.

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  5. आप किसके वास्ते हैं
    सबके अपने रास्ते हैं.
    सुर मधुर बंसी के खोये
    हम अकेले में ही रोये.
    साथ किसने है निभाया

    Achcha likha hai aapne, dhanyavaad

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  6. सीधे सीधे जीवन से जुड़ी रस कविता में नैराश्य कहीं नहीं दीखता।

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  7. जीवन का सच उकेरती पंक्तियाँ . व्यवहारिक सी लगीं

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  8. शोक का अहसास कम है
    आँख हाँ थोड़ी सी नम है.
    सच्चे एहसास!

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  9. ईमानदार कवि-कर्म ही यही है कि अपने भोगे हुए सत्य के साथ-साथ अन्य के भी सत्यों में परकाया गमन कर कविता की रचना करते रहना .किसी ह्रदय के भाव को ह्रदय अवश्य ग्रहण करता है .हर किसी के मर्म को थोड़ा सहला देता है . मैं जरुरी नही समझती कि कवि किस भाव में रचना-कर्म करता है उसकी सफाई देनी पड़े..आपको पढ़ना अच्छा लगता है .

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  10. बेहतरीन और व्यावहारिक कविता

    सादर

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  11. कल 07/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  12. हर उम्र के अनुभव अलग होते हैं जो कमोबेश सभी के साथ फिट होते हैं...
    जीवन के इस पड़ाव के हिसाब से सही सार्थक प्रस्तुति|

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  13. आप किसके वास्ते हैं
    सबके अपने रास्ते हैं.
    सुर मधुर बंसी के खोये
    हम अकेले में ही रोये.
    साथ किसने है निभाया
    आईने ने मुँह चिढ़ाया.

    सार्थक प्रस्तुति

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  14. गुज़रा था आपकी कविता से पहले भी कभी,
    आज फिर 'हलचल' हुई, और फिर दोहरा लिया
    :)

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  15. वो जमाना अब कहाँ है
    स्मृति का कारवाँ है
    शोक का अहसास कम है
    आँख हाँ थोड़ी सी नम है.
    रास अब जीवन न आया
    मृत्यु ने मन को लुभाया....वाह क्या बात कह दी?..बहुत ही सुन्दर रचना...

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  16. खूबसूरत प्रस्तुति पर बधाई ।

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  17. खूबसूरत प्रस्तुति पर बधाई ।

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  18. ना कहीं अठखेलियाँ हैं
    हर तरफ बेचैनियाँ हैं.
    प्रेम झूठा , मीत झूठे
    यूँ रहे अनुभव अनूठे.
    टूटती जगती की माया
    ना कोई अपना – पराया....

    कुछ उदासी सी, कुछ आक्रोश सा है आज अरुण जी ... क्या बात है ...
    भावों को शब्द दिए है ...

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  19. sach bhale hi ek hi raah ke raahgir hote hain ham sab lekin raste sabke alag-alag hi hote hain..
    ..nirasha ke tam se upji badiya bhavavykti..

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  20. जीवन के सच को दर्शाती सार्थक एवं अतिसुंदर प्रस्तुति ......

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  21. सटीक और यथार्थ ..

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  22. आज लगभग हर व्यक्ति यही सब महसूस करता है ।

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  23. आप किसके वास्ते हैं
    सबके अपने रास्ते हैं.
    सुर मधुर बंसी के खोये
    हम अकेले में ही रोये.
    साथ किसने है निभाया
    आईने ने मुँह चिढ़ाया.

    hamesha ki tarah lajawaab sirji.. :)
    mazaa aa gaya :)

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  24. सुंदर प्रस्तुति ।
    क्यूं उदासी रहे मनमें
    बहुत कुछ अभी है जीवन में
    आस को खोने ना देना
    राह को पकडे ही रहना
    छूट जाये असार माया
    तब लगे जीवन को पाया ।

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  25. सच्चाई को आपने बड़े ही खूबसूरती से शब्दों में पिरोया है! बहुत बढ़िया लगा!

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  26. सुंदर प्रस्तुति बधाई ...

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  27. सार्थक प्रस्तुति बधाई ...

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  28. सुंदर सार्थक अभिव्यक्ति ,भावपूर्ण बहुत अच्छी रचना

    MY NEW POST...मेरे छोटे से आँगन में...

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  29. सुन्दर रचना है.

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  30. सार्थक प्रस्तुति सुन्दर रचना.. बधाई ...

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  31. निराश मन की अनुभूतियां आपके शब्दों के आश्रय में सांत्वना ढूंढ रही हैं।

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  32. अहसासों की बानगी...

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  33. गहरे अहसास की प्रस्तुति |
    आशा

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